बंगाल पंचायत चुनावों में ई-नामांकन के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक
तृणमूल कांग्रेस के अलावा दूसरी पार्टियों को झटका देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों में ई-नामांकन दाखिल करने की इजाजत देने पर रोक लगा दी

नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के अलावा दूसरी पार्टियों को झटका देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों में ई-नामांकन दाखिल करने की इजाजत देने पर रोक लगा दी और चुनाव कार्यक्रम में दखल देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को निर्विरोध निर्वाचित सीटों के उम्मीदवारों के नतीजों को अधिसूचित नहीं करने का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के 8 मई के आदेश को चुनौती देने वाली एसईसी की याचिका पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जवाब मांगा है। उच्च न्यायालय ने 8 मई के आदेश में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1954 व सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधान के तहत ई-नामांकन की इजाजत दी थी।
एसईसी की याचिका पर 45 मिनट की सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि यह उच्च न्यायालय के आदेश से संबंधित है और कुल 48,000 सीटों में 17,000, करीब 34 फीसदी, उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "उच्च न्यायालय का आदेश व 34 फीसदी उम्मीदवारों का निर्विरोध निर्वाचित होना दोनों हमारे लिए चिंता बढ़ा रहा है।"
उन्होंने कहा कि एसईसी 14 मई के चुनावों के संचालन में 'पूरी तरह से निष्पक्षता' सुनिश्चित करे।
उच्च न्यायालय के आदेश को 'सबसे असंगत' बताते हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि ई-नामांकन कैसे स्वीकार किए जा सकते हैं क्योंकि एक उम्मीदवार को संबंधित निर्वाचन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होना होता है, निजी तौर पर नामांकन दाखिल करना और नामांकन फार्म पर हस्ताक्षर करना और शुल्क जमा करना होता है।
द्विवेदी ने कहा कि आगे नामांकन पत्रों की जांच व उम्मीदवारों की आपत्ति की प्रक्रिया होती है, लेकिन उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को ईमेल के जरिए दाखिल किए गए नामांकन स्वीकार करने का निर्देश दिया।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई तय कर दी।


