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मप्र में घरेलू प्रदूषण पर रोक बड़ी चुनौती

मध्यप्रदेश में घरों में प्रदूषण को रोकना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्य में खाना पकाने में बहुत कम स्वच्छ ईंधन का उपयोग हो रहा है

मप्र में घरेलू प्रदूषण पर रोक बड़ी चुनौती
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भोपाल। मध्यप्रदेश में घरों में प्रदूषण को रोकना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्य में खाना पकाने में बहुत कम स्वच्छ ईंधन का उपयोग हो रहा है। यह बात सामने आई है स्वच्छ वायु अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर विशेषज्ञों के बीच हुए संवाद में। बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ ने स्वच्छ वायु अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार में स्वास्थ्य निदेशालय के राष्ट्रीय कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य (एनपीसीएचएच) की राज्य नोडल अधिकारी डॉ. राजश्री बजाज ने वायु प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी बीमारी और वयस्कों, महिलाओं और बच्चों में हृदय रोग पर पड़ने वाले प्रभाव का ब्यौरा दिया। साथ ही वायु प्रदूषण को रोकने के लिए जागरूकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में घरेलू प्रदूषण को रोकना एक चुनौती है, क्योंकि खाना पकाने में आग के लिए लकड़ी का उपयोग किया जाता है और यह श्वसन संबंधी समस्याओं का बड़ा कारण है। राज्य में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग औसतन 29़6 प्रतिशत ही है। डिंडोरी में यह जहां 4 प्रतिशत है, वहीं भोपाल में 84़9 प्रतिशत है। इस में मीडिया और रेडियो जॉकी समुदाय में जागृति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

यूनिसेफ की हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. वंदना भाटिया ने वायु प्रदूषण के कारण बच्चों के लिए चुनौतियों पर बात की और सुविधा और घरेलू प्रदूषण को कम करने का आह्वान किया और कहा कि वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव की निगरानी के लिए रोगी की निगरानी की जरूरत है।

यूनिसेफ -मध्यप्रदेश के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने बैठक का समन्वय किया और कहा कि वायु प्रदूषण और उसका बच्चों व महिलाओं पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को कम करने की इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है।


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