शिक्षक भर्ती विज्ञापन पर रोक
उपराज्यपाल अनिल बैजल के दखल के बाद दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत निकाली गई शिक्षक भर्ती पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है
नई दिल्ली। उपराज्यपाल अनिल बैजल के दखल के बाद दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत निकाली गई शिक्षक भर्ती पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
दिल्ली के अतिथि शिक्षकों ने सात अगस्त को डीएसएसएसबी द्वारा निकाली गई भर्ती में अतिथि शिक्षकों के अनुभव को वरीयता न देने के कारण आक्रोश व्यक्त किया था। दिल्ली सरकार ने विधानसभा से प्रस्ताव पास कर शिक्षक भर्ती में अतिथि शिक्षकों को अनुभव के आधार पर वेटेज देने तक भर्ती को होल्ड पर रखने आग्रह उपराज्यपाल अनिल बैजल से किया था।
इससे पहले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी शिक्षा निदेशालय से आग्रह किया था कि इन भर्तियों को रोका जाए। आज यहां जारी आदेश में कहा गया है कि इन भर्तियों को रोक दिया गया है। इस फैसले से अतिथि शिक्षकों ने जहां संतोष जताया है वहीं इसका जोरदार स्वागत किया है। दरअसल अतिथि शिक्षकों का कहना है कि स्थाई भर्ती में सिर्फ वेटेज देने से कुछ अतिथि शिक्षकों को फायदा होगा क्योंकि शिक्षक भर्ती में पद बहुत कम हैं।
अतिथि शिक्षकों ने वर्तमान में लागू शिक्षक पदोन्नति नियमों को असंगत बताते हुए बदलाव कर युवाओं को ज्यादा अवसर देने की मांग उठाते हुए कहा है कि वर्तमान में प्रति वर्ष हजारों युवा शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों से शिक्षक प्रशिक्षण, डिप्लोमा इन एजुकेशन प्राप्त करके आ रहे हैं लेकिन शिक्षक भर्ती के नियमानुसार 75 प्रतिशत पद पदोन्नति तथा 25 प्रतिशत पद सीधी भर्ती का प्रावधान है।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों ने भी पदोन्नति नीति में बदलाव करते हुए प्रमोशन कोटा 75 प्रतिशत से कम करके अतिथि शिक्षकों को स्थाई करने या 60 साल तक नियमित करने की पॉलिसी बनाने की मांग दिल्ली सरकार से की है। अतिथि शिक्षकों ने 60 साल तक नियमित करने की पॉलिसी बनवाने में विपक्षी दल भाजपा को भी सहयोग करने का आग्रह किया है ताकि 17 हजार परिवारों का भविष्य सुरक्षित हो सकें।
बता दें कि भर्ती पर रोक लगवाने और 60 साल तक नियमितीकरण की पॉलिसी में सहयोग करने के लिए इन अतिथि शिक्षकों ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी से भी मुलाकात की थी। श्री तिवारी ने आज कहा कि हम अरविंद केजरीवाल सरकार से अपील करते हैं कि वह एक कैबिनेट नोट पारित करे और विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाकर 17 हजार अतिथि शिक्षकों को सेवानिवृति की आयु तक नियमित शिक्षक के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव पारित करवाएं, जिसमें नियमित शिक्षकों को मिलने वाले सभी लाभ शामिल हों।


