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निर्दोष लोगों को बचाना पहला कर्तव्य अपने फैसले पर नहीं लगा सकते रोक

एससी/एसटी एक्ट में हुए बदलावों के खिलाफ केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई

निर्दोष लोगों को बचाना पहला कर्तव्य अपने फैसले पर नहीं लगा सकते रोक
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नई दिल्ली। एससी/एसटी एक्ट में हुए बदलावों के खिलाफ केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। न्यायालय ने अपने पुराने फैसले पर किसी भी तरह से रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साफ है कि केंद्र सरकार को इस फैसले से तगड़ा झटका लगा है। एससी/एसटी एक्ट में हुए बदलावों को लेकर सोमवार को भारत बंद के दौरान दलित समुदाय का गुस्सा सामने आया। इस हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने मामले पर पुनर्विचार याचिका डाली थी। इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल और न्यायाधीश यूयू ललित की पीठ ने की। न्यायालय ने इस मामले में सभी पार्टियों से अगले दो दिनों में विस्तृत जवाब देने को कहा है। साथ ही न्यायालय ने कहा कि हम एक्ट के खिलाफ नहींहैं लेकिन निर्दोष लोगों को बचाना हमारा पहला कर्तव्य है।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि एससी-एसटी कानून के प्रावधानों का इस्तेमाल निर्दोष लोगों को आतंकित करने के लिए नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर 10 दिन बाद विस्तार से सुनवाई की जाएगी। इस बीच, महाराष्ट्र और अन्य लोग अपनी लिखित दलीलें पेश करें। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिन बाद होगी। वहीं मामले दलितों का हंगामा अभी भी जारी है। मंगलवार को भी मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों का हिंसक रूप देखा गया। अकेले मध्य प्रदेश में मरने वालों की संख्या 8 पहुंच गई है। वहींराजस्थान में दो विधायकों के घरों में आग लगा दी गई। अबतक कुल 12 लोगों ने प्रदर्शन में जान गंवा दी है।

केेंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल ने ये दी दलीलें

उधर आज न्यायालय में अटॉर्नी जनरल ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि अभी की परिस्थिति काफी मुश्किल है, ये एक तरह का आपातकाल है। 12 लोग अभी तक मर चुके हैं, हजारों-करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हो गया है। इस पर एमिकस क्यूरी अनरेंद्र शरण ने इस बात पर आपत्ति जताई है। शरण का कहना है कि लॉ एंड ऑर्डर की परिस्थिति सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को बदलने का कारण नहीं हो सकती है। उनका कहना है कि हम अन्य मुद्दों को सुनने के लिए तैयार हैं, लेकिन कानून व्यवस्था को सही रखना सरकार की जिम्मेदारी है। ज्ञात हो कि सोमवार को दलित संगठनों ने एससी/एसटी एक्ट में हुए बदलावों के खिलाफ भारत बंद बुलाया था। इस बीच लगातार बढ़ते दबाव के बीच केंद्र सरकार ने सोमवार को ही पुनर्विचार याचिका डाली थी।

न्यायालय ने कानून के तहत तुरंत गिरफ्तारी पर लगाई रोक

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने को कहा था। जिसके बाद दलित संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, थावरचंद गहलोत सहित कई सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। न्यायालय के इस फैसले के विरोध में दलित समुदाय ने दो अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। इस दौरान देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों में 12 लोगों की मौत हो गई।


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