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कारगिल विजय दिवस पर राष्ट्रपति मुर्मू, पीएम मोदी ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर पाकिस्तान के साथ 1999 का युद्ध लड़ने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।

कारगिल विजय दिवस पर राष्ट्रपति मुर्मू, पीएम मोदी ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर पाकिस्तान के साथ 1999 का युद्ध लड़ने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।

राष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा, "आज कारगिल विजय दिवस के गौरवशाली अवसर पर सभी देशवासी हमारे सशस्त्र बलों के असाधारण पराक्रम से अर्जित विजय को याद करते हैं। देश की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान करके विजय का मार्ग प्रशस्त करने वाले सेनानियों को एक कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से मैं श्रद्धांजलि देती हूं और उनकी स्मृति को नमन करती हूं। उनकी शौर्य गाथाएं आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करती रहेंगी। जय हिंद!"

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, "कारगिल विजय दिवस भारत के उन अद्भुत पराक्रमियों की शौर्यगाथा को सामने लाता है, जो देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणाशक्ति बने रहेंगे। इस विशेष दिवस पर मैं उनका हृदय से नमन और वंदन करता हूं। जय हिंद!"

जवानों को याद करते हुए शाह ने कहा, ''कारगिल विजय दिवस करोड़ों देशवासियों के सम्मान के विजय का दिन है। यह सभी पराक्रमी योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है जिन्होंने आसमान से भी ऊँचे हौसले और पर्वत जैसे फौलादी दृढ़ निश्चय से अपनी मातृभूमि के कण-कण की रक्षा की। भारत माता के वीर सिपाहियों ने अपने त्याग व बलिदान से इस वसुंधरा की न सिर्फ आन, बान और शान को सर्वोच्च रखा बल्कि अपनी विजित परंपराओं को भी जीवंत रखा।

शाह ने कहा, "कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों पर तिरंगा पुनः गर्व से लहरा कर देश की अखंडता को अक्षुण्ण रखने के आपके समर्पण को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से नमन करता हूँ।"

कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को उस युद्ध की याद में मनाया जाता है जो मई 1999 में शुरू हुआ था और 26 जुलाई 1999 तक उन पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ लड़ा गया था, जो 1998 की सर्दियों में नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय क्षेत्र घुस आए थे और कारगिल के द्रास और लद्दाख क्षेत्र के बटालिक सेक्टरों में पैर जमा लिए थे।


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