पर्युषण पर्व अंतिम सोपान पर कार्यक्रमों की प्रस्तुति जारी
त्याग, तपस्या के आराधना का महापर्व, पर्वाधिराज पर्युषण पर्व अंतिम सोपान पर है

नवापारा-राजिम। त्याग, तपस्या के आराधना का महापर्व, पर्वाधिराज पर्युषण पर्व अंतिम सोपान पर है। समाज के श्रेष्ठी गण के साथ ही श्रावक-श्राविकाएं पर्व के प्रारंभ दिन से ही तपस्या में रत रहते हुए 10 उपवास कर रहें हैं।
समाज के अध्यक्ष संजय सिंघई, उपाध्यक्ष रमेश चौधरी, सचिव मनीष आनंद जैन, सह सचिव आलोक पहाड़िया, कोषाध्यक्ष नितूल जैन सहित समाज के सभी लोग तस्वियों के तप की अनुमोदना करते हुए सुख साता की कामना करते हैं तथा भक्ति मंडली द्वारा भक्ति की जा रही है।
काल की सांस्कृतिक कार्यक्रम की कड़ी में संस्कारीत बहु का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभागी बहुओं ने सोलह श्रृंगार कर बहुत ही मनमोहक प्रस्तुति दी। मंच पर ही उन लोगों से सवाल किया गया, जिसका सारगर्भित उत्तर देकर सभी प्रतिभागियों ने दर्शक दीर्घा का मन मोह लिया। उक्त कार्यक्रम में शैलेष सिंघई, सुनीता चौधरी, राजुल सिंघई निर्णायक रहे। प्रात: कालीन श्रीजी को पांडुकशिला में विराजित कर श्रावकों द्वारा अभिषेक किया गया।
स्वर्ण कलश से शांतिधारा करने का सौभाग्य रमेश, अरेन्द्र, अशोक, राजेन्द्र, कमल, सौरभ, आलोक, दक्ष पहाड़िया परिवार को मिला। रजत कलश के लाभार्थी सुनील, अनुभव मोनू, आदित्य मुन्नू जैन परिवार रहे। अनुभव मोनू जैन उपवास की साधना में हैं । जिन सहस्त्रनाम स्त्रोत्र का वाचन कल्पना विनोद चौधरी तथा सुमन सुशील सिंघई ने किया।
पश्चात मंजू दीदी एवं रेखा दीदी ने उत्तम त्याग धर्म को परिभाषित करते हुए उदाहरण देकर कहा कि वस्तु का स्वभाव ही परम सत्य है। सत्य का ह्दय विराट होता है, असत्य को लाना पड़ता है। लेकिन सत्य तो होता ही है सत्य को थोपा नहीं जाता है, असत्य को थोपा जाता है।
संकिलेष और विशुध्दि स्थान सत्य नहीं है सत्य तो वह जिसमें न संकिलेष न विशुद्धि का स्थान है वे तो करमाश्रित है। जो सत् है चिद् ही परम सत्य है। वो ही परम सत्य है वह मेरा सत्य है जहां बोलना नहीं मौन भी नही है वह मेरा सत्य है।


