जीएसटी पर व्यापरियों की तैयारियां अधूरी, हेल्प क्योस्क लगाने की मांग
देश में एक जुलाई से जीएसटी कर प्रणाली लागू होने जा रही है, लेकिन इसे लेकर व्यापारियों में आवश्यक तैयरियां अभी भी कम दिखाई दे रही हैं

नई दिल्ली। देश में एक जुलाई से जीएसटी कर प्रणाली लागू होने जा रही है, लेकिन इसे लेकर व्यापारियों में आवश्यक तैयरियां अभी भी कम दिखाई दे रही हैं। जीएसटी पूरे तौर पर टेक्नॉलजी पर आधारित कर प्रणाली है जिसमें किसी भी प्रकार की कोई कागजी कार्यवाही नहीं होगी। जीएसटी के अनेक प्रावधान जिसमें खास तौर पर जीएसटी के मूल सिद्धांत, किस तरह से बिल बनेंगे, इनपुट क्रेडिट किस प्रकार से मिलेगा, हर व्यापारी की रेटिंग, माल के साथ सेवाओं का सम्मिश्रण नए विषय हैं जो मौजूदा कर प्रणाली से अलग हैं।
व्यापारियों ने बताया कि दूसरी लगभग 60 प्रतिशत व्यापारियों ने अभी तक अपने व्यापार में कम्प्यूटर का इस्तेमाल शुरू नहीं किया है जबकि जीएसटी में सब कुछ कम्प्यूटर के जरिए ही होगा। वो व्यापारी जो अभी तक कम्प्यूटर से दूर हैं वो कैसे नई कर प्रणाली की पालना करेंगे यह बड़ा सवाल है। अब जबकि जीएसटी लागू होने में केवल 19दिन बाकी है तब इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्यामें व्यापारियों को कम्प्यूटर से जोड़ना असम्भव है।
इस पर व्यापारिक संगठन कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि मैं जीएसटी का समर्थक हूं लेकिन यह महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर अभी तक कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने बताया कि जीएसटी उपभोक्ता आधारित कर प्रणाली है जिसमें कर का भुगतान अंतिम उपभोक्ता को करना होगा और उपभोक्ता का सम्पर्क केवल व्यापारी से ही होता है और इस दृष्टि से व्यापारियों की भूमिका जीएसटी में बेहद महत्वपूर्ण है और उनको तैयार रखना आवश्यक है।
श्री खंडेलवाल ने सुझाव दिया की व्यापारियों को टेक्नॉलजी से जोड़ने के लिए सरकार तुरंत एक नीति बनाए और कब तक व्यापारी टेक्नॉलजी से जुड़ें तब तक फ़ौरी तौर पर सरकार को व्यापारी संगठनों का सहयोग लेते हुए संगठनों के कार्यालयों में जीएसटी सुविधा केंद्र खोलने चाहिए जिससे जिन व्यापारियों के पाद कम्प्यूटर नहीं है वो भी इन केंद्रों कीं मदद से पालना कर सकें।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया की बाज़ारों में सरकार कम्प्यूटर क्योसक लगाए जागें उचित चार्ज के द्वारा जीएसटी की पालना हो सके।


