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चित्तौड़गढ़ में भीषण जल संकट से निपटने की तैयारी शुरु

राजस्थान में चित्तौड़गढ़ जिले में अल्प वर्षा एवं हिंदुस्तान जिंक के बड़े पैमाने पर जल दोहन के चलते अगले महीने से आसन्न भीषण जलसंकट के मद्देनजर पेयजल स्रोतों की नई व्यवस्था करने के साथ ही विभिन्न स्रोतों

चित्तौड़गढ़ में भीषण जल संकट से निपटने की तैयारी शुरु
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चित्तौड़गढ़। राजस्थान में चित्तौड़गढ़ जिले में अल्प वर्षा एवं हिंदुस्तान जिंक के बड़े पैमाने पर जल दोहन के चलते अगले महीने से आसन्न भीषण जलसंकट के मद्देनजर पेयजल स्रोतों की नई व्यवस्था करने के साथ ही विभिन्न स्रोतों से जिंक में दिये जा रहे पानी पर रोक लगा दी गई है।

जिला कलेक्टर के के शर्मा ने आज जिला परिषद की साधारण सभा में इस मामले पर हुई चर्चा में बताया गया कि अब तक हिंदुस्तान जिंक घोसुंडा बांध से 22 एमएलटी पानी ले रहा था और शहर की पेयजल आपूर्ति के लिए प्रतिदिन 15 एमएलटी पानी दिया जा रहा था। इस पर पिछले महीने विधायक चंद्रभानसिंह एवं अन्य जन प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में समीक्षा करके तय किया गया कि अब एक मार्च तक जिंक को पांच एमएलटी पानी प्रतिदिन दिया जाएगा, उसके बाद यहां से जिंक को पानी की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि शहर के लिए भी इसके बाद बांध में पानी नहीं रहने पर बांध में 17 नलकूपों को पुनः खुदवाकर पानी की आपूर्ति की जाएगी। इसी दौरान जिला प्रमुख सुरेश धाकड़ द्वारा यह मामला उठाए जाने पर कि हिंदुस्तान जिंक भेरड़ा, सेगवा और सेंथी की बंद पड़ी खदानों से पानी ले जा रहा है तो जिला कलेक्टर ने बताया कि इसे तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है और भेरड़ा से शहरवासियों को पानी की आपूर्ति के लिए तीन करोड़ की लागत से ढाई किलोमीटर लम्बी पाईप लाईन डालकर करने का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है।

शर्मा ने बताया कि जिंक द्वारा शहर के आसपास के गांवों से नलकूपों के जरिये पानी लिये जाने पर भी रोक लगाने की मांग करने के साथ जिला प्रमुख ने कहा कि जिंक के तीन में से एक संयंत्र को ही चालू रखने जितने पानी की व्यवस्था करवाई जाए जिससे रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इस पर जिला कलेक्टर ने बिजली निगम के अधिकारियों से कहा कि बिना व्यावसायिक कनेक्शन के नलकूपों से जिंक को दिये जा रहे पानी पर रोक लगाई जाए। बैठक में जिला कलेक्टर द्वारा घोसुंडा बांध को जिंक का बताए जाने पर भी जिला प्रमुख एवं विधायक ने आपत्ति जताई, लेकिन जिला कलेक्टर उन्हें संतुष्ट नहीं कर सके। जिंक ने बांध पर निजीकरण के बाद से ही पूर्णतः कब्जा कर रखा है जबकि विनिवेश में इसे बेचे जाने का कोई उल्लेख नहीं है, केवल बांध के पानी के एक हिस्से पर ही जिंक का अधिकार है।

गौरतलब है कि गत 2010 में पानी के संकट के समय जिंक ने बांध के पेटे में अवैध रूप से 17 नलकूप खोद दिये थे जिन्हें प्रशासन ने ना केवल बंद करवाए बल्कि जिंक के विरूद्ध एक मामला भी दर्ज हुआ था।


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