Top
Begin typing your search above and press return to search.

खदान विस्तार की तैयारी, 5 गांवों का अस्तित्व संकट में

जिले में संचालित एसईसीएल की कोयला खदानों के कारण वर्षों से नौकरी, मुआवजा, प्रदूषण व तमाम तरह की समस्या का निराकरण की राह ताक रहे क्षेत्रवासियों के बाद अब शहर से लगे सर्वमंगला मंदिर

खदान विस्तार की तैयारी, 5 गांवों का अस्तित्व संकट में
X

2596.02 एकड़ भूमि व नहर अधिग्रहण की कार्रवाई के लिए आदेश जारी
कोरबा।
जिले में संचालित एसईसीएल की कोयला खदानों के कारण वर्षों से नौकरी, मुआवजा, प्रदूषण व तमाम तरह की समस्या का निराकरण की राह ताक रहे क्षेत्रवासियों के बाद अब शहर से लगे सर्वमंगला मंदिर और इसके आसपास के पुराने क्षेत्रों सहित 5 गांवों के अस्तित्व पर संकट के बादल छाने लगे हैं। ऐतिहासिक कनकेश्वर धाम, प्राचीन सर्वमंगला मंदिर से लेकर वर्षों से बसी बस्तियां खदान के कारण जल्द ही उजड़ने वाली हैं। जमीनों का अधिग्रहण हेतु आदेश जारी होने के साथ इसके विरोध के स्वर फूटने लगे हैं।

दरअसल करीब 500 मिलियन टन कोयला उत्खनन के लिए ग्राम अमगांव, चुरैल, खोडरी, खैरभवना व गेवरा की भूमि का अधिग्रहण तो किया ही जाएगा, इसके साथ-साथ कोरबा, छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेश वासियों के लिए भी आस्था का केन्द्र प्राचीन मां सर्वमंगला मंदिर, ऐतिहासिक कनकेश्वर धाम व अग्रवाल समाज के द्वारा नि:शक्त 700 गायों की गौशाला भी पूरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। नगर के फोकट पारा, पटेल पारा, पुरानी बस्ती, दुरपा रोड, बरमपुर, सर्वमंगला नगर व नदी तट पर बसे गांव का अस्तित्व भी खदान से समाप्त हो जायेगा। कुसमुंडा-दीपका से कोरबा आने वालों को 15 किलोमीटर घूम कर शहर आना होगा। नहर भी अधिग्रहित व स्थानांतरित करने से एनटीपीसी सीपत को जल आपूर्ति व जांजगीर जिले के 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई प्रभावित होगी। हजारों किसान सिंचाई से वंचित होंगे। खुली खदान की हैवी ब्लास्टिंग से लगभग 8 से 10 किमी का दायरा प्रभावित होता है, तब मात्र 500 मीटर की दूरी पर माँ सर्वमंगला मंदिर, चांपा-गेवरा रोड रेल खण्ड पर हसदेव नदी के ऊपर बना रेल्वे ब्रिज आदि असुरक्षित हो जायेंगे। खदान के कारण कोरबा का जल स्तर काफी गिर जाएगा क्योंकि एसईसीएल ने हसदेव नदी के नीचे से भी कोयला उत्खनन का प्रस्ताव दिया है।

उल्लेखनीय है कि एसईसीएल की कुसमुंडा खदान परियोजना का विस्तार के लिए एसईसीएल द्वारा प्रयास जारी है। कोल बेयरिंग एरिया 1957 के अंतर्गत धारा 4 (1) एवं धारा 7 (1) का प्रकाशन उपरांत ग्राम अमगांव, चुरैल, खोडरी, खैरभवना व गेवरा की कुल 2294.82 एकड़ राजस्व एवं ग्राम खोडरी व गेवरा की 301.20 एकड़ राजस्व वन भूमि कुल 2596.02 एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए पत्राचारों का सिलसिला चलता रहा। चूंकि खदान विस्तार की राह में हसदेव बांयी तट नहर भी आ रही है इसलिए हसदेव बरॉज जल प्रबंध संभाग रामपुर द्वारा आपत्ति की गई। आंकलन के अनुसार हसदेव नदी और दांयी तट नहर के मध्य 50 हजार करोड़ का कोयला भंडार संभावित है। तमाम तरह की आपत्तियों के मध्य कोयला धारक क्षेत्र (अर्जन और विकास) अधिनियम 1957 के अंतर्गत भू-अर्जन के संबंध में भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा 18 जुलाई 2018 को जारी अधिसूचना के अनुसार स्थानीय जिला प्रशासन ने भू-अर्जन का आदेश एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के महाप्रबंधक को 23 अगस्त को प्रेषित कर दिया है। इस आदेश उपरांत प्रभावित होने वाले गांवों के अलावा खदान विस्तार क्षेत्र में आने वालों के मध्य खलबली मच गई है।

7612 करोड़ से होगी नहर की शिफ्टिंग
वैसे तो एसईसीएल द्वारा हसदेव दांयी तट नहर के विस्थापन की कार्यवाही के संबंध में पूर्व में हसदेव बरॉज जल प्रबंध संभाग द्वारा आपत्ति दर्ज कराते हुए कई कारण गिनाए गए। विभाग के पत्र दिनांक 24.10.2017 में अधीक्षण अभियंता ने स्पष्ट किया था कि नहर विस्थापन हेतु इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण पश्चात ही एसईसीएल को वर्तमान निर्मित दांयी तट विस्थापन की अनुमति दी जा सकेगी। इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के पूर्व हसदेव दांयी तट नहर के जल प्रवाह में एसईसीएल को किसी तरह का व्यवधान डालने नहीं दिया जाएगा। इसके पश्चात समीक्षा कर विभाग ने जुलाई-2018 में अनापत्ति पत्र जारी किया। पत्रानुसार तय हुआ है कि दांयी तट मुख्य नहर को नए नहर किमी 9.5 से किमी 19 तक आरसीसी एक्वाडक्ट का निर्माण कर उसके माध्यम से जल प्रवाहित किए जाने का मूल प्रस्ताव है। इस हेतु नहर को नदी की ओर शिफ्ट करने की आवश्यकता है। प्रोजेक्ट खर्च 7612 करोड़ रूपए संभावित है। 9 मई 2018 को शर्तों के अनुसार भू-अर्जन की धारा 9 (1) की कार्यवाही हेतु अनापत्ति दे दी गई। एनटीपीसी द्वारा अनापत्ति पत्र जारी किया जा चुका है।

रूपरेखा तय करने सर्वमंगला मंदिर में बैठक कल
खदान विस्तार में 5 गांवों सहित ऐतिहासिक धरोहरों का अस्तित्व खत्म होने पर माटी मंच के संयोजक अमरनाथ अग्रवाल ने 1 सितंबर को दोपहर 1 बजे सर्वमंगला मंदिर में महाआरती पश्चात बैठक बुलाई है। सर्वमंगला दाई बचाओ अभियान के तहत बैठक में जिले के सभी मठ, मंदिरों के पुजारियों, विभिन्न धर्म रक्षा संगठन, हिन्दू रक्षा दल, सामाजिक संगठन, पर्यावरण प्रेमी, श्रद्धालुओं व आम जनता को शामिल होने का आग्रह किया गया है। श्री अग्रवाल ने पत्रवार्ता आहूत कर मांग रखी है कि कुसमुंडा खदान विस्तार के लिए जारी अधिसूचना निरस्त की जाए, केन्द्र सरकार मां सर्वमंगला मंदिर व कनकेश्वरधाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करे, श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर भारी वाहनों के आवागमन के लिए हसदेव नदी पर अलग पुल निर्माण व नहर मार्ग से भारी वाहनों का आवागमन बंद कराया जाये।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it