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दिल्ली से बड़े आंदोलन की तैयारी : टिकैत

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी का कानून पूरे देश में लागू होना चाहिए, किसान महा सम्मेलन में शामिल होने छग पहुंचे

दिल्ली से बड़े आंदोलन की तैयारी : टिकैत
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रायपुर। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत इस साल एक बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं। यह आंदोलन पिछले साल तक चली दिल्ली की घेराबंदी वाले आंदोलन से बड़ा होगा। हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन की किसान महा सम्मेलन के लिए छत्तीसगढ़ पहुंचे राकेश टिकैत ने यह बात कही है। उन्होंने कहा, इस देश में किसान आंदोलन से बड़े मूवमेंट की जरूरत पड़ेगी। देश उसके लिए तैयार है।

रायपुर हवाई अड्डे पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए टिकैत ने कहा, आने वाले समय में देश में वैचारिक क्रांति आएगी। विचार से उत्पन्न होने वाली क्रांति-इस शब्द का इस्तेमाल 2014 के चुनाव में हुआ था। अभी नौजवानों को रोजगार नहीं है, वह इन शब्दों का इस्तेमाल करेगा। इससे जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, पोलिटिकल का तो नहीं पता लेकिन देश की जनता की आवाज है अब कि आंदोलन हों। एक मूवमेंट खड़ा हो। दिल्ली में जो आंदोलन चला था 13 महीनों तक उससे भी बड़े आंदोलन की जरूरत पड़ेगी। देश इसके लिए तैयार है, नौजवान तैयार हैं, दुकानदार तैयार हैं। जिस तरह से बड़ी कंपनियां आ रही हैं हर क्षेत्र में और पैसे का बड़ा इन्वॉल्वमेंट उनका हो गया तो गरीब आदमी का जीवन कुछ रहा नहीं। फिर से ट्रेक्टर मार्च निकालने पड़ेंगे। हो जाएगा।

छग में चुनाव है तो आना-जाना नहीं छोड़ेंगे

उनके दौरे को विधानसभा चुनाव से जोड़े जाने पर टिकैत ने कहा, चुनाव की वजह से आना-जाना थोड़े न छोड़ देंगे। भाजपा वाले कहते हैं कि जहां-जहां चुनाव आता है वहीं जाते हैं। यहां तो भाजपा सरकार में है नहीं, हम फिर भी आए हैं। यहां की सरकार से पहले भी बातचीत हुई है, हम फिर उनसे बातचीत करेंगे। हम चुनाव से दूर रहेंगे। मेरा मानना है कि किसी भी किसान संगठन को चुनाव में नहीं जाना चाहिए। उन्हें सरकार से बातचीत करनी चाहिए और लोगों को अपनी बात बतानी चाहिए। उन्होंने कहा, यहां की सरकार कुछ ठीक कर रही है लेकिन कुछ मामले हैं उनको भी निपटाओ। बातचीत के माध्यम से निपटाओ।

राकेश टिकैत ने कहा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी का कानून पूरे देश में लागू होना चाहिए। एक स्टेट दे दे तो काम नहीं चलेगा। यह कानून बन जाएगा तो कोई भी व्यापारी जिसे अनाज, फल-सब्जी, दूध और मछली का व्यापार करना है वह कम कीमत पर नहीं खरीद पाएगा। छत्तीसगढ़ वेजीटेबल्स का बड़ा हब है। यहां के किसानों ने दिल्ली का मार्केट भी पकड़ रखा है, लेकिन यह है कि उसको लाभ मिले।

दूध के किसान को मिले, जो आदिवासी जंगलों में रहते हैं उनको भी लाभ मिले। जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी का कानून नहीं बनेगा, किसान को लाभ नहीं होगा। फिर जितनी पैदावार होती है सरकार उतनी खरीद नहीं करती। प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खरीदी होती है। सीधी बात यह है कि जब तक गारंटी कानून नहीं होगा, स्वामिनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू नहीं होगी, तब तक किसान को फायदा नहीं होगा।

देश भर में किसानों की समस्या, अलग-अलग, अधिग्रहण बड़ा मुद्दा

राकेश टिकैत ने कहा, देश के अलग-अलग हिस्सो में किसानों की अलग-अलग समस्याएं हैं। हिमाचल में कुछ और है, कश्मीर में कुछ और पाएंगे। केंद्र सरकार कहती है कि हम छह हजार रुपए दे रहे हैं। बिहार और पूर्वांचल में तो 800 रुपए 1200 रुपए प्रति च्ंिटल पर खरीदी हो रही है। तो 800 रुपया प्रति च्ंिटल की दर से तो चार च्ंिटल का दाम हुआ। हमको छह हजार रुपए नहीं, न्यूनतम समर्थन की गारंटी वाला कानून दे दो और स्वामिनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू कर दो। पूरे देश में भूमि अधिग्रहण का बड़ा मुद्दा है। एनएच-नेशनल हाइवे के नाम पर जमीने खरीदी जा रही हैं। जहां पर आंदोलन नहीं है वहां जमीनों को लूटा जा रहा है।

सुबह आठ बजे पहुंचना था, दोपहर बाद पहुंचे-राकेश टिकैत को सुबह आठ बजे रायपुर पहुंचना था। उनकी उड़ान रद्द हो जाने की वजह से वे दोपहर बाद रायपुर पहुंच पाए। रायपुर हवाई अड्? डे पर किसान नेता राकेश टिकैत का किसान नेताओं और दूसरे संगठनों ने स्वागत किया।इसके बाद उनको सडक़ मार्ग से सरगुजा ले जाया गया।

टिकैत वहां हसदेव अरण्य क्षेत्र में आयोजित किसान महा सम्मेलन में शामिल होने गए हैं। हसदेव अरण्य में कोयला खनन परियोजनाओं के विरोध में स्थानीय आदिवासी ग्रामीण पिछले 10 वर्षो से आन्दोलन कर रहे हैं।

अक्टूबर 2021 में हसदेव के ग्रामीणों ने वहां से रायपुर तक 300 किलोमीटर पदयात्रा कर मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मुलाकात की थी। कोई कार्यवाही नहीं होने पर दो मार्च 2022 से ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं।


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