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जासूसी की चिंताओं के बीच जर्मनी में भी हुआवे पर बैन की तैयारी

चीन की सरकार और खुफिया एजेंसियों से नजदीकी के आरोपों के बीच हुआवे और जेडटीई की 5जी नेटवर्क में हिस्सेदारी पर आशंका जताई जा रही है. कुछ देशों ने इन पर प्रतिबंध लगाया है. खबर है कि जर्मनी भी प्रतिबंध लगा सकता है.

जासूसी की चिंताओं के बीच जर्मनी में भी हुआवे पर बैन की तैयारी
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जर्मनी टेलिकॉम ऑपरेटरों पर चीनी कंपनी हुआवे और जेडटीई के बनाए 5जी नेटवर्क के कुछ हिस्से इस्तेमाल ना करने का प्रतिबंध लगा सकता है. साइट ऑनलाइन ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. अगर बैन लगता है, तो सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के मद्देनजर यह बड़ा फैसला होगा. खबर के मुताबिक, जर्मनी के लगाए जाने वाले संभावित प्रतिबंध में वो हिस्से शामिल होंगे, जो 5जी नेटवर्क में पहले से ही बिल्ट-इन हैं. प्रतिबंध के कारण ऑपरेटरों को ये हिस्से हटाकर उनकी जगह नए पुर्जे लगाने होंगे.

जर्मनी ने 2021 में आईटी सुरक्षा कानून पास किया था. इसमें भावी नेटवर्कों के लिए टेलिकम्यूनिकेशन से जुड़े उपकरण बनाने वाली कंपनियों के लिए सख्त नियम-कायदे तय किए गए थे, मगर बाकी कई देशों की तरह हुआवे और जेडटीई पर बैन नहीं लगाया गया.

सुरक्षा चिंता से जुड़ी बहस

साइट ऑनलाइन के मुताबिक, जर्मनी में साइबर सिक्योरिटी एजेंसी और आंतरिक मंत्रालय कई महीनों से तफ्तीश कर रहे थे कि क्या 5जी नेटवर्क के विस्तार में ऐसे उपकरण भी शामिल हैं, जिनसे सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा हो सकता है. अभी यह जांच आधिकारिक तौर पर पूरी नहीं हुई है, लेकिन नतीजे स्पष्ट हो चुके हैं. बर्लिन के ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी इंस्टिट्यूट में चीन के विशेषज्ञ थॉर्स्टन बेनर कहते हैं, "ब्यौरे अहम होंगे. अगर इसमें ऑल-एक्सेस नेटवर्क के हिस्सों को शामिल किया जाए, जहां ऑपरेटरों ने हालिया सालों में हुआवे का बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया है, तो यह बड़ा कदम होगा. लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि अधिकारियों ने किन जरूरी हिस्सों की पहचान की है."

बेनर आगे बताते हैं, "यह कदम सही दिशा में, लेकिन काफी देर से उठाया गया है. साढ़े चार साल तक हुआवे और जेडटीई पर गंभीर विमर्श हुआ और तब भी हम अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं." चीन, जर्मनी का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है. जर्मन सरकार चीन के साथ अपने संबंधों की समीक्षा कर रही है.

मीडिया रिपोर्ट्स के बीच जर्मनी के आंतरिक मंत्रालय ने बयान दिया है कि फिलहाल टेलिकॉम ऑपरेटरों को अपने 5जी नेटवर्क में चीनी कंपनियों के बनाए उत्पाद इस्तेमाल करने से नहीं रोका गया है, लेकिन सप्लायरों को लेकर समीक्षा चल रही है. मंत्रालय ने बताया कि समीक्षा में स्टॉक कॉम्पोनेंट भी शामिल हैं और किसी भी सप्लायर पर बहुत निर्भर ना रहना बेहद जरूरी है. हुआवे और जेडटीई से जुड़े सवालों पर बताया गया कि समीक्षा किसी खास सप्लायर पर केंद्रित नहीं है.

हुआवे पर निर्भरता बड़ी चुनौती

जर्मनी-चीन संबंधों में विशेषज्ञ, रिसर्च फर्म रोडियम ग्रुप के मैनेजिंग एडिटर नोआ बारकिन कहते हैं, "यह एक संकेत है कि जर्मन सरकार चीन से जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं के जोखिमों पर आखिरकार ध्यान दे सकती है." उन्होंने आगे कहा, "हालांकि बरसों की दुविधा के बाद जर्मन 5जी नेटवर्क चीनी सप्लायरों पर बहुत ज्यादा निर्भर हो चुका है. इसे खत्म करने में सालों लग जाएंगे."

एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, 4जी नेटवर्क के मुकाबले 5जी रेडियो एक्सेस नेटवर्क इक्यूपमेंट (आरएएन) में जर्मनी की हुआवे पर निर्भरता बढ़ गई है. जबकि जर्मन ऑपरेटर कोर नेटवर्क्स के लिए हुआवे की तकनीक का इस्तेमाल करने से बच रहे हैं.

क्या हैं आरोप?

हुआवे और जेडटीई के आलोचकों का कहना है कि उनका चीन की खुफिया सेवाओं के साथ गहरा नाता है. इसके कारण बड़े स्तर पर इन कंपनियों को मोबाइल नेटवर्क्स में शामिल करने से चीनी जासूसोंऔर नुकसान पहुंचा सकने वाले तत्वों को आधारभूत ढांचे में पहुंच मिल सकती है. दोनों कंपनियां और चीन की सरकार इन आरोपों का खंडन करते हैं. उनका कहना है कि ये इल्जाम बाहरी प्रतिद्वंद्वियों के विदेशी बाजारों पर दखल कायम करने के मंसूबों से प्रेरित हैं.

जर्मनी में बैन से जुड़ी अटकलों के बीच हुआवे के प्रवक्ता ने कहा कि वो कयासों पर टिप्पणी नहीं करते. उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी दो दशक से जर्मनी समेत कई देशों को तकनीक मुहैया करा रही है और इस दौरान उसका सुरक्षा रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है. सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के बीच कई यूरोपीय देश अपनी टेलिकॉम पॉलिसियों पर विचार कर रहे हैं. अबतक केवल ब्रिटेन और स्वीडन ने हुआवे और जेडटीई पर 5जी नेटवर्क के अहम उपकरणों की सप्लाई से जुड़ा प्रतिबंध लगाया है.


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