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प्रेमचंद आज ज्यादा प्रासंगिक: तेजिन्दर

 प्रेमचंद आज ज्यादा प्रासंगिक इसलिए हैं क्योंकि अपने समय में उन्होंने जिन समस्याओं और चुनौतियों का सामना किया था , आज वे अधिक भयावह रुप से मौजूद  हैं

प्रेमचंद आज ज्यादा प्रासंगिक: तेजिन्दर
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रायपुर। प्रेमचंद आज ज्यादा प्रासंगिक इसलिए हैं क्योंकि अपने समय में उन्होंने जिन समस्याओं और चुनौतियों का सामना किया था , आज वे अधिक भयावह रुप से मौजूद हैं। उक्त उद्गगार प्रख्यात रचनाकार तेजिन्दर ने प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर द्वारा मिंटू शर्मा स्मृति शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला डूमरतराई में आयोजित प्रेमचन्द जयंती के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।

उन्होंने आगे कहा कि बच्चों से संवाद करना मुझे व्यक्तिगत रूप से चुनौतिपूर्ण लगता है क्योंकि बच्चों का मस्तिष्क पारदर्शी होता है। लेकिन आज ऐसा नहीं लग रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षीय आसंदी से प्रतिष्ठित लेखक, शिक्षाविद एवं प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मण्डल के सदस्य प्रभाकर चौबे ने कहा कि प्रेमचंद की परंपरा को हम भूलते जा रहे हैं. समाज में आपसी संवेदनशीलता का दायरा लगातार संकुचित हो रहा है जो हम सब के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उल्लेखनीय है कि प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर द्वारा प्रतिवर्ष प्रेमचंद जयंती का आयोजन शालेय विद्यार्थियों के बीच किया जाता है।

कार्यक्रम में प्रगतिशील लेखक संघ के नंदकुमार कंसारी एवं संजय शाम ने प्रेमचंद के साहित्य से लेकर कथा लेखन सहित विभिन्न आयामों पर गंभीर विमर्श में सहभागिता की. अध्यापिका अंजूम रहमान , जो प्रेमचंद पर शोध कर रही हैं, ने भी अपने विचार व्यक्त किए. इस अवसर पर विद्यार्थियों के लिए कहानी प्रतियोगिता आयोजित की गई थी. इसमें प्रथम स्थान शुभम दुबे एवं द्वितीय कु .त्रिवेणी बांधे सहित अन्य प्रतिभागियों को प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर द्वारा प्रमाणपत्र एवं प्रेमचंद साहित्य से पुरस्कृत किया गया।

कार्यक्रम मे शाला के प्राचार्य आर.एन. त्रिवेदी एवं शिक्षक/शिक्षिकाओं सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे । उपस्थित विद्यार्थियों शिक्षकों ने अतिथियों से सवाल भी पूछे जिसका सभी अतिथियों ने उनकी जिज्ञासाओं का यथोचित निराकरण किया। कार्यक्रम का संचालन शाला के हिंदी प्राध्यापक एवं वरिष्ठ कवि नर्मदा प्रसाद मिश्र नरम ने किया. आभार प्रदर्शन प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर के अध्यक्ष संजय शाम ने किया।


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