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उग्र हिंदुत्ववादी भीड़ द्वारा खास समुदाय के लोगों को चिन्हित कर मार देने के विरोध में अनशन पर डॉ. प्रेम सिंह

उग्र हिंदुत्ववादी भीड़ द्वारा एक खास समुदाय के लोगों को चिन्हित कर मार देने की घटनाओं तथा ऐसी घटनाओं पर सरकार की संवेदनहीनता और चुप्पी के विरोध में प्रेम सिंह पिछले 25जून से उपवास पर बैठे हैं

उग्र हिंदुत्ववादी भीड़ द्वारा खास समुदाय के लोगों को चिन्हित कर मार देने के विरोध में अनशन पर डॉ. प्रेम सिंह
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उग्र हिंदुत्ववादी भीड़ द्वारा खास समुदाय के लोगों को चिन्हित कर मार देने के विरोध में प्रेम सिंह अनशन पर

नई दिल्ली, 28 जून। उग्र हिंदुत्ववादी भीड़ द्वारा एक खास समुदाय के लोगों को चिन्हित कर मार देने की घटनाओं तथा ऐसी घटनाओं पर सरकार की संवेदनहीनता और चुप्पी के विरोध में दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक तथा जाने-माने लेखक और विचारक व सोशलिस्ट पार्टी इण्डिया के अध्यक्ष प्रेम सिंह पिछले 25जून से दिल्ली के जंतर मंतर पर एक सप्ताह के लिए उपवास पर बैठे हैं।

डॉ.प्रेम सिंह ने देश की ग्राम पंचायतों, नगर पालिकाओं, मजदूर, किसान व छात्र संगठनों, सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं एवं स्वतंत्र नागरिकों से अनुरोध कि. है कि वे भीड़-हत्याओं की गंभीर समस्या पर संजीदगी से विचार करें और उसे रोकें।

आज सामाजिक कार्यकर्ता व समाज सुधारक स्वामी अग्निवेश ने जंतर-मंतर पहुंचकर डॉ. प्रेम सिंह को अपना समर्थन दिया।

देशबन्धु से बात करते हुए डॉ. प्रेम सिंह ने बताया,

“कल और परसों जंतर मंतर पर उपवास स्थल का वातावरण बहुत ही रचनात्मक रहा. अदनान ने अपनी '1992' और 'घर' शीर्षक मार्मिक कवितायें पढ़ी। अनुपम सिंह ने संदीप तिवारी की कविता 'पहचान' का पाठ किया। हिरण्य हिमकर और योगेश पासवान ने रघुवीर सहाय, फैज़ अहमद फैज़, पाब्लो नेरुदा, एमानुएल ओर्तीज सहित कई कवियों की कविताओं और हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया। नीरज मिश्रा ने रघुपति सहाय 'फ़िराक' की मशहूर कविता 'बहुत अँधेरा है' का सस्वर पाठ करके सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कई पत्रकार साथी उपवास में शामिल हुए और अपनी बात रखी।“

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी, छात्र लगातार आते रहे और भीड़तंत्र/भीड़-हत्या की खतरनाक प्रवृत्ति पर गंभीर चर्चा की. जामिया, इन्द्रप्रस्थ और जेएनयू विश्वविद्यालयों के कई छात्र उपवास में शामिल हुए। दिल्ली के और दिल्ली के बाहर के कई तेजस्वी युवा उपवास स्थल पर लगातार बने रहे। दिल्ली से सामाजिक-राजनीतिक-धार्मिक संगठनों/संस्थाओं के नागरिकों ने आकर अपनी बात रखी।

डॉ. प्रेम सिंह ने कहा

“आज 'not in my name' के नाम से जंतर मंतर पर शाम 6 बजे नागरिकों का भीड़-हत्याओं के विरोध में मार्च होगा। ऐसा संदेश है कि देश के अन्य शहरों में भी नागरिक यह कार्यक्रम रखेंगे। यह बहुत अच्छा प्रयास है। दिल्ली के ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसमें भाग लेना चाहिए। इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन में हम गाँवों, कस्बों, छोटे शहरों को भूल जाते हैं। आगे यह आयोजन वहां भी होना चाहिए। वह ज्यादा जरूरी है। मेरा आज के मार्च में हिस्सा लेने वाले दिल्ली के नागरिकों से निवेदन है कि वे अगले तीन दिन उपवास स्थल पर आयें और एक-एक दिन का उपवास रखें।“

उन्होंने कहा

“आज अपने राजनीतिक शिक्षक समाजवादी चिंतक किशन पटनायक की बहुत याद आ रही है. उन्होंने देश के राजनीतिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के दिमाग पर लगातार दस्तक दी कि 1991 के बाद बनने वाले नवसाम्राज्यवादी-सांप्रदायिक गठजोड़ के बरक्स वैकल्पिक राजनीति ही एक मात्र रास्ता है> हमें हैरत और चिंता में डाल देने वाल यह जो मलबा भारत की संवैधानिक व्यवस्था और सभ्यता पर गिरा है, हमारी वैकल्पिक राजनीति नहीं खड़ा कर पाने की असफलता का नतीज़ा है।“

सोशलिस्ट कार्यकर्ता आकाशदीप ने कहा –

“वर्तमान सरकार द्वारा विगत तीन वर्षों में समाज में भिन्न समुदायों और वर्गों के बीच जो सांप्रदायिक जहर घोला गया है, धार्मिक, नस्लीय भेदभाव की दरार को खाई में तब्दील कर दिया गया। हालात ये हैं कि देश के लोग अपने त्योहारों को मनाने से डरने लगे हैं..... खानपान को लेकर हत्याएँ हो रही हैं बल्कि कहना ज्यादा उचित होगा कि हत्या सरकारी तंत्र द्वारा भीड़ का एक विशेष प्रवृत्ति, सोच के तहत सैन्यीकरण करवा कर करायी जा रही हैं .... संघ चालित सरकार ने भुला दिया है कि यह देश साझी संस्कृति, गंगा जमुनी तहज़ीब वाला देश है। इस देश को इसकी भौगोलिक विविधता, सांस्कृतिक विविधता, भाषाई विविधता, धार्मिक विविधता.... आदि के लिए जाना जाता है और विविधता में एकता की बात की जाती है। आज यह विविधता ही वर्तमान सरकार के सत्तारूढ़ होने से, असल में संघ के सत्तारूढ़ होने से खतरे में है। अपनी आत्मा,अपना चेहरा तो इस सरकार ने बेच ही दिया है.... अब यह देश की और हमारी आत्मा को, हमारे विवेक को भी कॉरपोरेट के यहाँ बेचने चले हैं....जिसमें इनका पालतू मीडिया इनके साथ है कभी लोकतंत्र का चौथा खंबा कहा जाता था.... आज भीड़ तंत्र को निर्देशित कर गृहयुद्ध करवाने में अहम भूमिका निभा रहा है। डॉ. प्रेम सिंह जैसे लोग इनकी राह में रोड़ा है और हम और आप भी.....”

सोशलिस्ट युवजन सभा की महासचिव वंदना पांडेय ने कहा –

“डॉ. प्रेम सिंह जुनैद की हत्या और देश के तमाम जगहों पर घट रही घटनाओं से बेहद आहत थे। उनको समझाने की हम लोगों ने बहुत कोशिश की पर उनका एक ही जवाब था की अब मुझसे ऐसी घटनाएं देखी नहीं जाती, मैं कल से ही उपवास पर बैठूंगा, तुम मेरी चिंता बिलकुल मत करो।

हम लोग जानते हैं कि उनका यह निर्णय देश में शांति, प्रेम, सौहार्द, भाईचारा और आपसी सद्भाव को मज़बूती प्रदान करने में प्रेरणा का काम करेगा। प्रेम सिंह जी के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही है। मैं जानती हूँ कि वे अपने निर्णय के प्रति बहुत ईमानदार और सख़्त हैं।

वे साथियों के कहने व परेशान होने के बावजूद भी अपने कदम से नही डगमगायेंगे उनके इस जज़्बे और जूनून को #सोशलिस्ट_युवजन_सभा के साथियों का "क्रांतिकरी सलाम"।”


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