प्रयागराज: कुंभ में शाही पेशवाई का शुभारंभ
पेशवाई में आचार्य महामण्डलेश्वर और श्रीमहंत रथों पर आरूढ़ होते हैं, उनके सचिव हाथी पर, घुड़सवार नागा अपने घोड़ों पर तथा अन्य साधु पैदल आगे रहते हैं

प्रयागराज। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन तट पर लगने वाले विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कुम्भ के लिए आज हाथी पर चांदी के हौदे पर विराजमान अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर एवं महामण्डलेश्वर की सवारी के साथ शाही पेशवाई की शुरूआत हो गई।
पेशवाई एक धर्मिक शोभा यात्रा है जिसमें अखाडों के आचार्य पीठाधीश्वर, महामण्डलेश्वर, साधु-संत, और नागाओं का एक बड़ा समूह हाथी, घोड़ा, ऊंट और पालकी पर सवार होकर गंगा की रेती पर बने छावनी (कैम्प) में पहुंचता है।
पेशवाई में आचार्य महामण्डलेश्वर और श्रीमहंत रथों पर आरूढ़ होते हैं, उनके सचिव हाथी पर, घुड़सवार नागा अपने घोड़ों पर तथा अन्य साधु पैदल आगे रहते हैं। शाही ठाट-बाट के साथ अपनी कला प्रदर्शन करते हुए साधु-सन्त अपने लाव-लश्कर के साथ अपने-अपने गन्तव्य को पहुँचते हैं और इसे ही औपचारिक उपस्थिति माना जाता है।
पेशवाई निकलने से पहले मौजगिरी आश्रम में स्थापित देवता और त्रिशूल का वैदिक मंत्रो के साथ 11 बजे पूजन किया गया। उसके बाद हाथी, घोड़े पर सवार गाजे-बाजे के साथ शाही पेशवाई की शुरूआत हुई।


