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जल आवर्धन योजना में अनियमितता का आरोप

प्रतापपुर ! जल आवर्धन योजना प्रतापपुर में अनियमितता की शिकायत के बाद विभाग द्वारा गड्ढों की गहराई बढ़ाने का काम रोक दिया गया है।

जल आवर्धन योजना में अनियमितता का आरोप
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शिकायत के बाद बन्द हुआ काम, टंकियों से बह रहा पानी
प्रतापपुर ! जल आवर्धन योजना प्रतापपुर में अनियमितता की शिकायत के बाद विभाग द्वारा गड्ढों की गहराई बढ़ाने का काम रोक दिया गया है। इस संबंध में जानकारी के अनुसार शिकायत पर पुलिस के हस्तक्षेप के बाद गहराई बढ़ाने का काम बंद किया गया है। गौरतलब है कि करीब तीन करोड़ की लागत से प्रतापपुर में जल आवर्धन योजना प्रारंभ की गई थी, जिसमें निर्माण के समय से ही अनियमितता के कारण लोगों की शिकायत पर इसकी जांच की गई, जहां ईएनसी द्वारा प्रत्येक दस मीटर के गहराई और चौड़ाई को नाप कर समग्र परीक्षण सहित प्रतिवेदन मांगा था। विभाग ने उनके आदेश के दो महीने बाद भी जांच तो नहीं की लेकिन जांच के बाद गड्ढों की गहराई बढ़ाने में जुट गया। स्थानीय लोगों द्वारा इसकी शिकायत एसडीएम और पुलिस को देते हुए पुन: मेल से इसकी शिकायत ईएनसी पीएचई रायपुर सहित प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शासन से करते हुये विभाग द्वारा सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया गया है।
कई बार शिकायतों और जांचों के बाद भी कार्यवाही न होने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता राकेश मित्तल ने पूरे मामले की शिकायत पुन: पीएम सहित पीएचई विभाग के सचिव, ईनसी रायपुर व् अन्य को की है। शिकायत में उन्होंने बताया कि जल आवर्धन योजना के तहत बनाई गयी दोनों टंकियों में जबरदस्त लिकेज है। बार-बार मरम्मत के बाद भी इनका लिकेज बन्द नहीं हो रहा है और विभाग के अधिकारी इसे सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं। नियमत: सबसे पहले सप्लाई के लिए पानी का सर्वे होना था किन्तु इस कार्य के लिए कराये गए बोरों में पानी न मिलने के कारण टंकी भरने के लिए पुराने कई हैण्डपम्पों का सहारा लेना पड़ रहा है। शिकायत में उन्होंने बताया कि शिकायतों पर पहले अपर कलेक्टर सूरजपुर ने जांच की थी, जिसमें शिकायत सही पाई गयी थी किन्तु किसी भी दोषी के ऊपर कार्यवाही नहीं हुयी।
पिछले महीने एसडीएम प्रतापपुर द्वारा पुन: जांच कर कलेक्टर को प्रतिवेदन भेजा गया कि एक जगह गड्ढे की गहराई 28 सेमी व् एक जगह 55 सेमी पाई गयी तथा दोनों टंकियों में लिकेज पाया गया, किन्तु इस प्रतिवेदन पर भी कार्यवाही नहीं हुयी और अब पुन: ईएनसी रायपुर द्वारा जांच का आदेश दिया गया है। उन्होंने बताया कि स्थानीय अधिकारी जांच न कर सबूतों को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। श्री मित्तल ने आरोप लगाया है कि इन अधिकारियों और ठेकेदारों के रवैये के कारण पूरी योजना अधर में लटक गयी है और बेकार साबित हो रही है। शिकायत कर्ता ने शिकायत में दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के विरुद्ध नए सिरे से जांच कराने की मांग की है।


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