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रोमियो स्कावड पर प्रशांत भूषण को अखिलेन्द्र प्रताप सिंह का समर्थन

योगी सरकार के 20 मंत्रियों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी आते हैं

रोमियो स्कावड पर प्रशांत भूषण को अखिलेन्द्र प्रताप सिंह का समर्थन
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लखनऊ, 04 अप्रैल। रोमियो स्कावड पर दिए गए प्रशांत भूषण के बयान पर तूफान खड़ा करना और एपीएन जैसे चैनलों पर उनका गला काट लेने जैसी उकसावामूलक बात रखना और उनके खिलाफ ढेर सारे एफआईआर दर्ज कराना चितांजनक है। प्रशांत भूषण सरकार और कारपोरेट के भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रहे हैं और उन्होंने राफेल हेलीकाफ्टर सौदा, सहारा-बिरला डायरी, अरूणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल की आत्महत्या की जांच की बात बराबर उठाते रहे हैं। इसलिए उनके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की राजनीति को भी समझना बेहद जरूरी है।

यह बात इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने आज प्रेस को जारी अपने बयान में कहीं।

अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि दरअसल एंटी रोमियो स्कावड कार्यवाही उप्र में और सूबे के बाहर भी चर्चा में है। भाजपा के लोग बढ़-चढ़ कर बोल रहे हैं कि प्रदेश की कानून व्यवस्था पटरी पर आ गयी है। महिलाएं सुरक्षित महसूस कर रही है चौतरफा अमन-चैन है। योगी की सरकार बने पन्द्रह दिन हो रहे है और इन पंद्रह दिनों में कुछ ताजातरीन घटनाएं भी अखबारों के माध्यम से लोगों के सामने आयी है। 2 अप्रैल के अमर उजाला और जनसत्ता में छपी खबर के अनुसार पश्चिमी उ0 प्र0 के भाजपा विधायक ने अपनी भांजी के साथ दुष्कर्म की कोशिश की। प्रदेश में एक पुलिस इंस्पेक्टर ने लड़की के साथ अश्लील हरकतें की। 24 मार्च के अखबारों में छपी खबर के अनुसार इलाहाबाद से लखनऊ आने वाली भीड़-भाड़ भरी गंगा गोमती एक्सप्रेस में 23 मार्च को सुबह गैंगरेप व एसिड अटैक पीड़िता को जबरन तेजाब पिलाने की घटना हुई और देर रात तक पीड़िता पर हमला करने वालों पर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार 26 मार्च को आजमगढ़ में बीए की छात्रा का सिगरेट से चेहरा जला दिया गया। तब जरूर सोचना होगा कि एंटी रोमियो स्कावड का गठन महिलाओं में कितनी सुरक्षा का भाव पैदा कर पा रहा है।

अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि आम आदमी और महिलाओं की सुरक्षा का सवाल महज पुलिस की कार्यवाही चाहे वह एंटी रोमियों स्कावड के नाम से ही क्यों न हो, हल नहीं किया जा सकता। सुरक्षा के सवाल का हल और गहराई से जांच पड़ताल की मांग करता है। उ0 प्र0 में जो लोग शासन कर रहे है उनके सामाजिक और राजनीतिक जीवन को भी समझने की जरूरत है। चुनावों में दिए शपथ पत्र के आधार पर तैयार एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म की रिपोर्ट कहती है कि भाजपा के जीते 312 विधायकों में 114 का आपराधिक इतिहास है जिसमें से 83 विधायक गम्भीर अपराधों में लिप्त है। जिसमें महिलाओं पर अत्याचार व छेड़खानी के भी मुकदमें है।

उन्होंने कहाकि योगी सरकार के 20 मंत्रियों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज है जिसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी आते हैं। यदि इन्हें राजनीतिक विद्वेषवश लगाएं मुकदमे कहकर भाजपा पिण्ड़ छुड़ाना चाहे तो गायत्री प्रजापति से उसका मामला भिन्न कैसे हो जाता है।

सामंती, लम्पट, माफिया तत्व जिन्होंने चुनाव जीतने की कूबत हासिल कर ली है। उन्हें चुनाव जीतने की काबिलियत के आधार पर भाजपा ने टिकट अन्य दलों की तरह दिया है तो वह सूबे को अपराधमुक्त कैसे कर सकती है। क्योंकि ऐसे लोंगो का चरित्र ही अय्याशी, गुडंई और अन्य लोंगो पर दमन का होता है। इन लोगों के बल पर कानून का राज कायम करना महज एक छलावा है। समाज और राजनीति का जनतंत्रीकरण ही समाज में अमन चैन और कानून के राज की स्थापना कर सकता है।


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