तोमर ने भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान की प्रशंसा की
नरेन्द्र सिंह तोमर ने बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान की प्रशंसा करते हुए कहा है कि उन्होंने देश को ऐसा संविधान दिया जो आजादी के 76 साल बाद भी प्रासंगिक है और आगे भी रहेगा।

शिवपुरी। केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान की प्रशंसा करते हुए कहा है कि उन्होंने देश को ऐसा संविधान दिया जो आजादी के 76 साल बाद भी प्रासंगिक है और आगे भी रहेगा।
तोमर ने कल यहां अंबेडकर जयंती के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने संविधान के तहत सभी लोगों को अधिकार दिया है। हमारे देश में राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में अनेकों महापुरूष हुए। जिनका योगदान देश के विकास में हमेशा रहा, लेकिन डॉ.बाबा साहब एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने देश के निर्माण में योगदान देने के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों को बराबरी का हक एवं शिक्षा दिलाने तथा भ्रष्टाचार, छूआछूत जैसी कुप्रथाओं को मिटाने का काम किया।
उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने के बाद संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में सर्व समिति से उनकी योग्यता के आधार पर उन्हें समिति का अध्यक्ष चुनकर दायित्व सौपा गया। इसलिए नरेन्द्र मोदी की सरकार ने पहली बार 26 नवम्बर 2016 को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि डॉ अम्बेडकर मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के महू में एक साधारण सैनिक के परिवार में जन्म लिया था, उनकी शिक्षा विपरीत परिस्थिति में हुई, लेकिन वे कभी निराश एवं हताश नहीं हुए।
उन्होंने कहा कि उनकी समग्र सोच के कारण देश के सवा सौ करोड़ लोग आज भी उन्हें पूरे सम्मान एवं आदर के साथ स्मरण करते है। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर हमेशा चाहते थे कि देश आगे बढ़े, सभी लोग शिक्षित हो, समानता एवं स्वतंत्रता का अधिकार मिले और लोगों में सामाजिक समरसता एवं ममता की भावना बढ़े।
उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं मध्यप्रदेश सरकार बाबा साहब से जुड़ी स्मृतियों को विकसित करने का भी कार्य कर रही है। महू में बाबा साहब को लोग श्रद्धासुमन अर्पित कर सके इसके लिए राज्य सरकार 14 अप्रैल को महू में दलित कुंभ के रूप में मना रही है।
उन्होंने कहा कि नागपुर की दीक्षा भूमि एवं मुम्बई की चेतन भूमि को भी विकसित किया जा रहा है। लंदन में जिस भवन में रहकर उन्होंने वकालात की शिक्षा ग्रहण की थी, उस भवन को केन्द्र सरकार खरीद कर रिसर्च केन्द्र के रूप में विकसित कर रही है। इससे आने वाली पीढ़ी बाबा साहब के बारे में जान सकेगी।


