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प्रद्युम्न सिंह तोमर की जीत की राह नहीं आसान, य़ह रोड़े बनेंगे मुश्किल
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख तय होती ही भाजपा ने अपनी चौथी सूची जारी कर दी

ग्वालियर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख तय होती ही भाजपा ने अपनी चौथी सूची जारी कर दी। जिसमें ज्यादातर मंत्रियों के नाम घोषित किए गए हैं। इन्हीं में एक नाम ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का भी है। जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं। और उन्हीं के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। उनका टिकिट तय माना जा रहा था। क्यूंकि सिंधिया खेमे से जो विधायक भाजपा में आए और चुनाव भी जीते उन्हीं की वह से भाजपा सत्ता पर काबिज है। डबरा से सिंधिया समर्थक इमरती देवी का टिकिट तीसरी सूची मे ही घोषित हो गया था, जबकि वह पिछला चुनाव कॉंग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे से हार गयीं थीं। य़ह देखते हुए य़ह तय था कि ग्वालियर विधानसभा से तो टिकिट उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को ही मिलेगा ।
राजनीति मे टिकिट मिलना और चुनाव जीतने मे उतना ही अन्तर है जितना उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में। कई राजनीतिक विश्लेषक प्रद्युम्न की जीत की घोषणा कर रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि प्रद्युम्न जमीन से जुड़े नेता हैं। और ग्वालियर विधानसभा की गली गली मे उनके समर्थक हैं। प्रद्युम्न सिंह तोमर ने क्षेत्र के लिए बहुत काम किया है। उन्होंने गली गली मे सफाई अभियान चलाया है। जनता के समस्याओं के समाधान के लिए कई शिविर आयोजित किए हैं। यहां तक कि उनके बंगले पर भी सरकारी कर्मचारी जनता की सुनवाई के लिए तैनात रहते थे ।
चुनाव चुनाव होते हैं। चुनाव जीतने के लिए हर पुराने प्रत्याशी जो भी वही सब करना पड़ता है जो कोई नया प्रत्याशी करता है। उसे गली गली जनसम्पर्क के साथ वालों और दावों का खेल भी खेला पड़ता है। चुनाव तभी जीता जा सकता है जब अंतिम समय तक मतदाता आपके पक्ष मे मत देने का विचार स्थिर रखे । बात ग्वालियर विधानसभा की करें तो ऐसे कई कारण हैं जिनकी वज़ह से मतदाता प्रद्युम्न से किनारा कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात है कि इतने लम्बे समय से इस क्षेत्र की जनता in समस्याओं से जूझ रहीं है। कुछ लोगों का तो खना है कि उन्होंने अफसरों सूची लेकर ऊर्जा मंत्री जी को in समस्याओं से अवगत कराया है। य़ह समस्याएं अभी भी जस की तस् हैं। आइए समझते हैं य़ह कौनसी समस्याएं हैं जो प्रद्युम्न की जीत की राह में रोड़ा बन सकती हैं।
चुनाव मे जातिगत समीकरण बहुत मायने रखते हैं। पिछले कुछ चुनाव ग्वालियर विधानसभा से क्षत्रीय प्रत्याशी जीता है। कॉंग्रेस के तरफ से कई तोमर दावेदारी कर रहे हैं यदि वह सब एकजुट हो जाएं और किसी एक को टिकिट मिलने पर पूरी ताकत झोंक दें तो प्रद्युम्न की जीत की राह मुश्किल हो सकती है। क्षेत्र मे ओबीसी मतदाता बहुत अधिक है। प्रदेश में ओबीसी वर्ग भाजपा का विरोध कर रहा है। य़ह ओबीसी विरोध भी प्रद्युम्न की जीत के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है।
प्रद्युम्न सिंह तोमर ऊर्जा मंत्री रहे हैं। इसके बाद भी य़ह क्षेत्र ऊर्जा संकट से जूझता रहा है। यहां के बाशिंदे घोषित अघोषित बिजली कटौती से सालों परेशान रहे हैं। उन्होंने बिजली की कमी का सामना किया है। बिजली की बिना अंधकार मय जीवन जिया है। ऐसे हालात में बिजली गुल की तीस यदि मतदाता के मन में रहती है तो वह प्रद्युम्न को छोड़ अपना वोट किसी भी प्रत्याशी को दे सकता है।
ग्वालियर विधानसभा मे विकास के कितने भी दावे किए जाएं लेकिन आज भी य़ह विधानसभा ग्वालियर शहर की अन्य दो विधानसभा से पिछड़ी मानी जाती है। यहा पर ऐसे कोई संसाधन या अधोसंरचना नहीं है जो इसे विकसित की श्रेणी में रखें। स्मार्ट सिटी के ज्यादातर प्रोजेक्ट भी अन्य विधानसभा की शोभा बड़ा रहे हैं। ग्वालियर विधानसभा को मंत्री जी स्मार्ट सिटी का कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं दिला पाए । इस विधानसभा का ज्यादातर इलाक़ा पिछड़ी हुआ है। हाजिर अस्पताल को विकसित तो किया गया । लेकिन इस क्षेत्र की ज्यादातर जनता आज भी जय आरोग्य अस्पताल पर निर्भर है। इस विधानसभा को एक सीएम राइज स्कूली मिला भी तो उसमे भी ज्यादातर छात्रः अन्य विधानसभा से पढ़ने आ रहे हैं। मतलब इस विधानसभा के छात्रों को शतप्रतिशत लाभ नहीं मिल पाया। अच्छी शिक्षा की चाह रखने वाले नागरिक ऐसे हालात में मत दान नए प्रत्याशियों को दे सकते हैं। य़ह समस्याओं प्रद्युम्न के जीत मे एक बड़ा रोड़ा बन सकती है। हालांकि ओवर फ्लो गटर वाहन टूटी फ़ूटी गलियों से भी मंत्री जी विकास यात्रा निकाल चुके हैं।
ग्वालियर विधानसभा रोजगार के मामले में बहुत पिछड़ी हुई है। एक जमाना था जब इस क्षेत्र में बिरला मिल हुआ करती थी । रोजगार की कमी नहीं थी। मिल बंद होने के बाद से य़ह क्षेत्र अभागा सा रहा गया। नए रोजगार यूनिट के रूप में कुछ प्रोजेक्ट आए भी तो वह सफल नहीं हुए । आईटी पार्क में कुछ कॉल सेंटर ने युवाओं को थोड़ा रोजगार कुछ समय तक दिया लेकिन अब वह भी बंद हो गए । बेरोजगारी इस क्षेत्र की बड़ी समस्या है। छोटे दुकानदार भी बहुत खुश नहीं हैं। सब्जी मंडी को भी कुछ साल पहले किसी बिल्डर के इशारे पर हटाया गया था।
अपराध इस क्षेत्र की एक बहुत बड़ी समस्या है। एक आम आदमी का जीना इस विधानसभा में इतना आसान नहीं है। इस विधानसभा में लगे मल गड़ा थाना व ग्वालियर थाना में झगडे विवाद के मामले दिन भर आते रहते हैं। ड्रग्स हथियार वाहन शराब के अवैध कारोबार में भी इस विधानसभा की खासी पहचान है। अवैध शराब यहा कई महलों मे खुले आम बिकती है। डर के मारे आम आदमी शिकायत तक नहीं करता। सूखा नशा इस क्षेत्र मे बड़े पैमाने पर चलता है। इसी के छोटे क्षेत्र मे jai अपराध भी हुए हैं। नशे के आदी अपराधी दुष्कर्म और हत्या करने तक से नहीं चूकते । अपराध के राजनीतिक संरक्षण के कई मामले भी चर्चाओं में रहते हैं।
इन सब समस्याओं को काबू करने में ऊर्जा मंत्री नाकाम रहे हैं। य़ह समस्याएं ऐसी है जो हर आम नागरिक रोज सामना करता है। मतदान के दिन यदि इनमे से किसी भी समस्याओं की तीस मतदाता दिल मे लेकर मतदान करता है तो क्या वह वर्तमान विधायक को वोट देगा य़ह एक बड़ा प्रश्न है। विकास हुआ है कि जब बात मंत्री जी भी करते हैं तो सबसे पहले हवाई अड्डा, ऐलि वेटेड रोड ही गिनाते हैं। बिजली क्यूँ जाती है। सड़क पानी क्यूँ नहीं है पूछ ने पर वह घावों की सर्जरी करने लगते हैं। 17 नवंबर को सर्जरी का जिम्मा जनता के हाथ में होगा । अब देखना होगा कि इन समस्याओं से प्रद्युम्न सिंह तोमर कैसे पार पाते हैं?
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