ऊर्जा मंत्री ने खुद ही माना बिजली की भारी किल्लत से जूझ रहा उत्तर प्रदेश
बिजली कटौती को लेकर पूरा उत्तर प्रदेश परेशान है। बिजली की किल्लत इतनी है कि छह से आठ घंटे तक की कटौती की जा रही है

रतिभान त्रिपाठी
लखनऊ। बिजली कटौती को लेकर पूरा उत्तर प्रदेश परेशान है। बिजली की किल्लत इतनी है कि छह से आठ घंटे तक की कटौती की जा रही है। और अब तो सरकार ने भी मान लिया है कि बिजली की परेशानी है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के बयान का निहितार्थ यह भी निकाला जा रहा है कि सरकार बिजली आपूर्ति में विफल है। शर्मा ने कहा कि ग्रामीण फीडर में चार से छह घंटे कटौती हो रही है, जबकि शहरी क्षेत्रों में दो से चार घंटे की कटौती की जा रही है। अक्टूबर के पहले हफ्ते में बिजली आपूर्ति सामान्य होने के आसार हैं।
विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता इस मसले पर आए दिन सपा सरकार पर फब्तियां कसते थे लेकिन जब से वह सरकार में आए हैं, बिजली की हालत और खराब हुई है। प्रदेश भर में बिजली की किल्लत को लेकर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने गुरुवार को इलाहाबाद में ऐसा बयान दिया है जिसे लेकर विपक्ष हमलावर हो रहा है।
शर्मा ने बिजली कटौती तथा किल्लत के लिए बारिश को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस समय प्रतिदिन बीस करोड़ की बिजली खरीदनी पड़ रही है।
ऊर्जा मंत्री के इस बयान को लेकर विपक्षी उनकी योग्यता पर सवाल उठाने से नहीं चूक रहे हैं।
श्रीकांत शर्मा ने खुद ही पत्रकारों से कहा कि इस बार अपेक्षा से कम बारिश होने के कारण बिजली की दिक्कत बढ़ी है। बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने में सरकार को समय लगेगा। उन्होंने प्रदेश में बिजली की कमी की बात की स्वीकार की। उन्होंने कहा कि तकनीकी खराबी और ब्रेक डाउन होने से समस्या आ रही है, जबकि बारिश के बाद अचानक मांग बढ़ने से आपूर्ति चरमरा गई है। पहले 15 हजार मेगावाट थी प्रति दिन बिजली की मांग। आज बिजली की मांग 17 हजार मेगावाट से ऊपर पहुंच गई है। बिजली का उत्पादन घटने से केन्द्रीय पूल से बिजली खरीदनी पड़ रही है।इसके बाद भी सरकार हालात में सुधार लाने का प्रयास कर रही है। जनता को जल्द अच्छी बिजली मिलेगी। बिजली चोरी रोकने के लिए भी सरकार काम कर रही है। हम इसमें बड़े स्तर पर सफल भी होंगे।
श्रीकांत शर्मा के बयान को लेकर सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह कैसे मंत्री हैं जो गलतबयानी कर अपनी अक्षमता को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। जब सपा की सरकार थी तो इससे बेहतर बिजली आपूर्ति होती थी और तब भाजपाई कहा करते थे कि बिजली पर्याप्त है, सरकार एनटीपीसी से बिजली खरीदना ही नहीं चाहती। अब जब प्रदेश और केंद्र में इन्हीं की सरकार है तो ये लोग जनता को बिजली क्यों नहीं दे रहे। ये लोग एनटीपीसी से बिजली क्यों नहीं खरीदते, क्या दूसरे को ही उपदेश देना जानते हैं।


