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पॉल्ट्री उद्योग को रोजाना 2 हजार करोड़ रुपये का नुकसान : गिरिराज सिंह

केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि मुर्गे से कोरोनावायरस फैलने की अफवाहों के चलते देश का पॉल्ट्री उद्योग प्रभावित हुआ है

पॉल्ट्री उद्योग को रोजाना 2 हजार करोड़ रुपये का नुकसान : गिरिराज सिंह
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नई दिल्ली। केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि मुर्गे से कोरोनावायरस फैलने की अफवाहों के चलते देश का पॉल्ट्री उद्योग प्रभावित हुआ है और उद्योग को रोजाना 1,500 से 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है और इसके कारण देश के 10 लाख किसानों और इसकी बिक्री से जुड़े वैल्यू चेन में पांच करोड़ लोगों की रोजी-रोटी पर संकट है। गिरिराज सिंह ने शुक्रवार को कहा कि चिकन, अंडा, मांस और मछली का कोरोना वायरस फैलने से कोई संबंध नहीं है और महज अफवाहों के कारण इन उद्योगों से जुड़े देश के 10 करोड़ किसानों की रोजी-रोटी पर संकट है। केवल पॉल्ट्री उद्योग से 10 लाख किसान प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि चिकन, अंडा, मांस और मछली खाना बिल्कुल सुरक्षित है, लिहाजा अफवाहों पर ध्यान न दें।

विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोना वायरस को लेकर फैली अफवाह के कारण देश का पोल्ट्री उद्योग धराशाई हो गया है और चिकन की कीमत में 70 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, "विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन(ओआईई) ने कहा कि कोरोना वायरस का संचार मानव से मानव में होता है और पशु से मानव में या मानव से पशु में इसका संचार होने का अब तक कोई प्रमाण नहीं मिला है। ऐसी स्थिति में किसी भी वैश्विक रिपोर्ट में अब तक कुक्कुट से मानव में कोरोना वायरस के फैलने की बात नहीं आई है।"

उन्होंने कहा कि देश में 35 फीसदी पोषण इसी सेक्टर से मिलता है लिहाजा अफवाह के कारण न सिर्फ किसानों की आजीविका प्रभावित हुई है, बल्कि लोगों के पोषण पर भी असर पड़ा है। उन्होंने कहा, "देश के 10 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी छिन रही है और वे घबराए हुए हैं। साथ ही, प्रोटीन के स्रोत के प्रति लोगों में घबराहट है।"

उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भी कहा है कि ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि कोरोना वायरस चिकन, मांस या समुद्री उत्पाद खाने से फैल सकता है।

गिरिराज सिंह से यहां संवाददाताओं को बताया, "एफएसएसएआई ने भी कहा है कि मांस, मछली और चिकन खाना सुरक्षित है और इससे कोरोनावायरस फैलने का कोई खतरा नहीं है।"

गिरिराज सिंह ने कहा कि इस संबंध में अफवाह फैलाए जाने के कारण मछली, कुक्कुट पालक व पशुपालकों के अलावा मक्का और सोयाबीन उत्पादक किसान प्रभावित हुए हैं।

मछली और मीट मार्केट में सफाई के मसले को लेकर पूछे गए आईएएनएस के एक सवाल पर सिंह ने कहा, "इस संबंध में भी सरकार की ओर से पहले ही दिशा-निर्देश दिए गए हैं और मत्स्य विभाग की ओर से इसके लिए एक स्कीम भी लाई गई है, जिसमें मार्केट बनाने और स्वच्छता पर जोर दिया गया है।"

संवाददाता सम्मेलन में मौजूद केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान ने कहा, "सफाई, मछली और मछली बाजार में ही नहीं बल्कि सब्जी बाजार में भी जरूरी है।"

बालियान ने बताया, "अफवाह से पॉल्ट्री इंडस्ट्री को काफी नुकसान हुआ है और चिकन के थोक भाव में 70 फीसदी तक की गिरावट आई है। चिकन का भाव जहां 100 रुपये प्रति किलो चल रहा था, वहीं इस अफवाह से चिकन का थोक दाम 30 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जिससे कुक्कुट पालक किसानों को काफी नुकसान हुआ है।"

कृषि अर्थशास्त्री और पॉल्ट्री फेडरेशन आफ इंडिया के एडवायजर विजय सरदाना ने बताया कि अफवाह के कारण कुक्कुट पालक किसानों का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि कुक्कुट पालक किसानों की उत्पादन लागत जहां 80 रुपये है वहां उन्हें चिकन की कीमत 20 रुपये मिल रही है।

सरदाना ने कहा, पोल्ट्री के साथ-साथ इसका असर मक्का, सोयाबीन पर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि भारत का पोल्ट्री उद्योग एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का है और इसमें 50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर जबकि 1.5 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलता है। इस प्रकार देश के पोल्ट्री उद्योग में करीब दो करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है।

गिरिराज सिंह ने कहा कि एक टीवी न्यूज चैनल पर चली खबर के बाद लोगों में घबराहट है लेकिन लोगों को किसी अफवाह पर ध्यान नहीं देना चाहिए, क्योंकि चिकन, अंडे, गोश्त व समुद्रीय उत्पाद का उपभोग करने से कोरोनावायरस फैलने का कोई खतरा नहीं है।


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