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बर्ड फ्लू से मचा हड़कंप, हरियाणा में पॉल्टी उद्योग सहमा

हरियाणा के पंचकूला जिले बरवाला में पॉल्ट्री फार्मों में करीब एक लाख मुर्गियों की मौत से प्रदेश का पॉल्टी उद्योग भी सहम गया है

बर्ड फ्लू से मचा हड़कंप, हरियाणा में पॉल्टी उद्योग सहमा
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जींद। हरियाणा के पंचकूला जिले बरवाला में पॉल्ट्री फार्मों में करीब एक लाख मुर्गियों की मौत से प्रदेश का पॉल्टी उद्योग भी सहम गया है।

प्रदेश के सबसे बड़े मुर्गी पालन हब पंचकूला जिले के बरवाला के पॉल्ट्री फॉर्म्स में गत कुछ दिनों में लगभग एक लाख मुर्गियों की मौत के बाद हड़कम्प मच गया है। मुर्गियों में बर्ड फ्लू फैलने की आहट से प्रदेश के अन्य हिस्सों का पॉल्ट्री उद्योग में खौफ है। हालांकि इन मुर्गियों की मौत किस कारण से हुई यह पता नहीं चला है लेकिन देश के अन्य राज्याें में बड़ी संख्या में पक्षियों के मृत पाये जाने तथा इनमें जांच के बाद बर्ड फ्लू की पुष्टि होने से हरियाणा में भी बर्ड फ्लू की आशंका गहराने लगी है जिसके सम्भावित खतरे को देखते हुए पॉल्ट्री व्यवसायी सुरक्षा के उपाय करने में जुट गए हैं। इसके तहत पॉल्ट्री फार्मों और हैचरी के आसपास बायो सेफ्टी बढ़ा दी गई है। वहीं दवा का छिड़काव भी किया जा रहा है।

पंचकूला के रायपुररानी-बरवाला क्षेत्र में लगभग डेढ़ सौ पॉल्ट्री फार्म हैं। दूसरी तरफ जींद जिला भी पॉल्ट्री हब माना जाता है। जिले में करीब 500 से ज्यादा पोल्ट्री फार्म हैं जिनमें 70 लाख से अधिक मुर्गियां पाली जा रही हैं। इसके अलावा 80 हैचरी हैं इनमें ऐसी मुर्गियों को रखा जाता है जो अंडा देती हैं। इन हैचरी में करीब एक करोड़ ऐसी मुर्गियां हैं। जिले में पोल्ट्री उद्योग से प्रतिदिन करीब दस करोड़ रुपये का कारोबार होता है। हालांकि जिले में अधिकतर मुर्गी पालन चूजे और चिकन के लिए ही किया जाता है।

पशुपालन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. राजू शर्मा ने बताया कि आजकल संक्रमण फैलने का खतरा बहुत कम है। अभी तक जिले में बर्ड फ्लू जैसे मामले की कोई पुष्टि नहीं हुई है लेकिन सावधानी जरूर बरती जानी चाहिए। इसके लिए पॉल्ट्री कारोबारी अपने फार्म के आसपास बायो सुरक्षा चक्र बनाएं। बाहर से आने वाली गाड़ियों को भी अच्छे प्रकार से सैनिटाइज कर फार्म में जाने दें। इसके अलावा यदि खुद फार्मर भी बाहर से आता है तो वह भी नहा कर और कपड़े बदल कर फार्म में जाए। फार्म के आसपास चूना का छिड़काव किया जाना चाहिए। वहीं प्रवेश द्वार पर लाल दवाई का प्रयोग होना चाहिए ताकि संक्रमण न फैले। वहीं पक्षियों में रोग रोधी शक्ति बढ़ाने के लिए इनका वैक्सीनेशन करें। चिकन खाने वालों को सिर्फ इतनी ही सावधानी बरतनी है कि अच्छे से उबालकर चिकन का प्रयोग करें।

डॉ. शर्मा के अनुसार सामान्य स्थिति में एक हजार मुर्गियों में से एक-दो की मौत होना कोई चिंता का विषय नहीं होता। सर्दियों में कुछ मुर्गियों की मौत हो भी सकती है। यदि फार्म में काफी संख्या में मुर्गे मरते हैं तो यह चिंता का विषय है और इसकी सूचना तुरंत विभाग को दें।

ब्रॉयलर एंड ब्रीडर एसोसिएशन के अध्यक्ष बिंटु बिसला ने कहा कि अभी तक जींद जिले में कहीं भी मुर्गियों की मौत का मामला सामने नहीं आया है। इसके बावजूद पूरी सतर्कता बरती जा रही है। फार्म पर बायो सुरक्षा अपनाई जा रही है। वहीं बारह से आने वाले लोगों को फार्म में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है।


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