आलू समर्थन मूल्य किसानो के साथ सरासर धोखा: मुकट सिंह
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आलू के समर्थन मूल्य 549 रूपये प्रति कुंतल की घोषणा को हास्यापद करार देते हुये किसान सभा ने कहा कि आलू किसानो के साथ यह सरासर धोखा है।

इटावा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आलू के समर्थन मूल्य 549 रूपये प्रति कुंतल की घोषणा को हास्यापद करार देते हुये किसान सभा ने कहा कि आलू किसानो के साथ यह सरासर धोखा है।
उत्तर प्रदेश किसान सभा के महामंत्री कामरेड मुकुट सिंह ने आज यहॉ कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फसलों की लागत का डेढ गुना देने का वादा किया था और इसी बजट में वित्त मंत्री ने घोषणा भी की थी कि सरकार ने लागत का डेढ गुना दे दिया हैं।
उन्होने कहा कि इन दिनो आलू का बाजार भाव 800-1000 रूपये प्रति कुंतल चल रहा है क्योकि आलू की पैदावार इस बार 30 से 40 फीसदी कम निकल रही है।
कामरेड सिंह ने कहा कि चूंकि पिछली बार आलू की फसल मिटटी के मोल थी जिससे किसानो का रोष जगह-जगह फूटा इससे ध्यान हटाने के लिए सरकार ने यह थोथी और आंखो में धूल झोंकने वाली घोषणा की है।
उन्होंने सरकार से मांग की कि वादानुसार आलू में लागत का डेढ गुना दाम घोषित कर खरीद की गारंटी की जाये । आलू भण्डारण की दरें सरकार स्वंय किसानो के हित में तय करें तथा आलू बाहुल्य क्षेत्र में आलू आधारित उद्योग लगाये। गौरतलब है कि इस साल पूरे प्रदेश मे बडे पैमाने पर आलू की बरबादी हुई ।
किसानों ने बडे स्तर पर सड़को पर अपने खेतो से आलू निकाल कर फेंका था। जिले में बीते साल करीब 18 हजार हेक्टेयर में पांच लाख 40 हजार मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ थी, इसमें करीब 80 हजार मीट्रिक टन आलू बर्बाद गया।
आलू उत्पादन में इटावा जिले में अग्रणी है, गत साल जिले के 54 शीतगृहों में करीब चार लाख मीट्रिक टन आलू का भंडारण किया गया। पूर्वात्तर राज्यों में आलू का उत्पादन होने से वहां इस क्षेत्र के आलू की खपत नहीं रही, इसके अलावा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ सहित अन्य कई प्रांतों में भी मांग निरंतर कम हो रही है। इससे आलू की मांग न होने से करीब 80 हजार मीट्रिक टन आलू शीतगृहों में रह गया, शुरूआत में शीतगृह स्वामियों ने निशुल्क आलू बांटा, इसके बाद बचने पर सड़कों पर फेंका गया।


