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दार्जिलिंग में सुरक्षा बलों को हटाने के लिए पोस्टर लगाए गए

पृथक गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर बिमल गुरंग की अगुवाई वाले जीजेएम की ओर से आहूत अनिश्चितकालीन हड़ताल के आज दसवें दिन में प्रवेश करने से जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है

दार्जिलिंग में सुरक्षा बलों को हटाने के लिए पोस्टर लगाए गए
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दार्जिलिंग। पृथक गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर बिमल गुरंग की अगुवाई वाले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) की ओर से आहूत अनिश्चितकालीन हड़ताल के आज दसवें दिन में प्रवेश करने से जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है अौर इस मामले का फिलहाल कोई तत्काल समाधान नजर नहीं आ रहा है।

कल बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में स्पष्ट रूप से कहा गया कि जब तक यहां तैनात अर्ध सैनिक बलों को नहीं हटाया जाएगा हड़ताल जारी रहेगी। ये सुरक्षा बल अाठ जून से तैनात हैं अौर इस हड़ताल के कारण चाय उद्याेग का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

जीजेएम प्रवक्ता पी अर्जुन ने कहा कि कल की बैठक में सभी 12 दलों ने हिस्सा लिया था और इन सभी ने एक मत से अलग राज्य की मांग को लेकर हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया उन्होंने कहा कि पहले यहां से सारे अर्धसैनिक बलों को हटाया जाए , उसके बाद ही हड़ताल को समाप्त करने की बात होगी और अगली सर्वदलीय बैठक दार्जिलिंग में 24 जून को होगी।

इस बीच राज्य सरकार के सूत्रों ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में सरकारी संपत्ति में तोड़फोड़ करने और आग लगाने संबंधी रिपोर्टों को देखते हुए सरकार और अर्धसैनिक बलों की तैनाती पर विचार कर रही है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)नेता और दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले केन्द्रीय मंत्री सुरेन्द्रजीत सिंह अहलुवालिया ने कहा कि पिछले हफ्ते पुलिस गोलीबारी में मारे गए तीन गोरखा कार्यकर्ताओं की मौत पर राज्य सरकार को मुआवजा देना चाहिए। उनका कहना है कि ये तीनो युवक अपने परिवार में अकेले ही कमाने वाले सदस्य थे और राज्य सरकार को उनके परिजनों को उचित मुआवजा देना चाहिए।

जीजेएम का दावा है कि ये तीनों पुलिस गोलीबारी में मारे गए हैं जबकि सरकार इसका खंडन कर रही है । राज्य सरकार ने केन्द्र को भेजी ताजा रिपोर्ट में कहा कि शनिवार को एक व्यक्ति की माैत हुई थी लेकिन उसकी मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है।

राज्य सरकार ने कहा है कि इन झड़पों में 35 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं और जीजेएम समर्थकों के हमलों में घायल 17 सुरक्षाकर्मियों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून के आने से अनिश्चितकालीन बंद एक तरह से पूरा दिखाई दे रहा है । सड़कें सूनी पड़ी है और दुकानें तथा व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद है जिससे राजस्व अर्जन संबंधी सभी गतिविधियां ठप हाे चुकी हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों और ईंधन की किल्लत की रिपोर्टें मिली हैं। एक अधिकारी ने बताया कि हिमालयन पर्वतीय संस्थान (एचएमआई) के निकट चिड़ियाघर में जानवरों के लिए भोजन सामग्री की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है।


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