Top
Begin typing your search above and press return to search.

दिल्ली के स्कूलों में प्रिंसिपल के अधिकांश पद खाली, वाइस प्रिंसिपल की भी होनी है नियुक्तियां

दिल्ली के स्कूलों में प्रधानाचार्यो के अधिकांश पद खाली पड़े हैं। स्वयं दिल्ली शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा दिए गए डेटा के मुताबिक, प्रधानाचार्यों के कुल 950 पद स्वीकृत हैं और केवल 154 ही भरे गए हैं।

दिल्ली के स्कूलों में प्रिंसिपल के अधिकांश पद खाली, वाइस प्रिंसिपल की भी होनी है नियुक्तियां
X

नई दिल्ली: दिल्ली के स्कूलों में प्रधानाचार्यो के अधिकांश पद खाली पड़े हैं। स्वयं दिल्ली शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा दिए गए डेटा के मुताबिक, प्रधानाचार्यों के कुल 950 पद स्वीकृत हैं और केवल 154 ही भरे गए हैं। यानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 83.7 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। स्कूल के प्रधानाध्यापकों की भर्ती संघ लोक सेवा आयोग द्वारा की जानी है। दिल्ली के शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि संघ लोक सेवा आयोग व दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड दोनों ही सीधे केंद्र सरकार को रिपोर्ट करते हैं और यहां बार-बार शिक्षकों की भर्ती में देरी होती है।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्यों के 363 पदों के लिए चयन प्रक्रिया शुरू की गई है। दिल्ली सरकार के मुताबिक दिल्ली में लगभग एक दशक के बाद यूपीएससी द्वारा प्रधानाचार्यों की सीधी भर्ती की जा रही है। इससे पहले प्रधानाचार्यों के पिछले बैच ने 2012 में अपनी लिखित परीक्षा दी थी और 2015 में स्कूल ज्वाइन किया था। 2010 में शुरू हुई यह भर्ती प्रक्रिया 2015 में पूरी हुई थी।

इस बाबत दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने यूपीएसई के चेयरमैन को पत्र लिखकर प्रधानाचार्यों के चयन के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले 6 विषय वास्तुओं के अतिरिक्त 5 और योग्यताओं पर ध्यान देने की बात भी कही थी।

यूपीएसई द्वारा प्रधानाचार्यों के चयन के लिए आयोजित की जाने वाली लिखित परीक्षा 300 अंकों की होती है और पूरे रिजल्ट में इसका वेटेज 75 फीसदी होता है। यूपीएससी 6 विषयों पर प्रधानाध्यापकों के लिए एक उम्मीदवार की जांच करता है। इनमें सामान्य ज्ञान समकालीन सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मुद्दे, हिंदी और अंग्रेजी भाषा कौशल, तर्क क्षमता और मात्रात्मक योग्यता, शिक्षा नीतियां और शिक्षा माप और मूल्यांकन, मैनेजमेंट और फाइनेंसियल एडमिनिस्ट्रेशन, कार्यालय संबंधी कामकाज प्रक्रिया शामिल हैं।

शिक्षकों के मामलें में भी सरकारी स्कूलों को भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षकों के कुल स्वीकृत 65,979 पदों में से 21,910 अभी तक नहीं भरे गए हैं। यह खाली पद करीब 33 फीसदी हैं। दिल्ली सरकार ने इन रिक्तियों के कारण आए गैप को 20 हजार से अधिक अतिथि शिक्षकों से भरा है। वहीं उप-प्राचार्यों के 34 फीसदी पद खाली हैं। उप-प्राचार्यों के 1,670 स्वीकृत पदों में से, 565 (लगभग ) खाली पड़े हैं।

वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि एक स्कूल की गुणवत्ता उसके लीडर के प्रदर्शन से पता लगती है लेकिन दिल्ली में वर्ष 2020 और 21 में सरकारी स्कूलों के लिए एक भी प्रिंसिपल की नियुक्ति नहीं की गई। मंत्रालय का कहना है कि यह जानकारी स्वयं दिल्ली सरकार ने अपने शिक्षा विभाग के पोर्टल पर डाली है। दिल्ली सरकार को घेरते हुए हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों का औसत प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से कम है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it