बढ़ते इंटरनेट उपभोग का ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक उन्नति में साकारात्मक प्रभाव: ट्राई
दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कहा है कि पिछले तीन वर्षों में शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट के तेजी से बढ़ते उपभोग से ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक उन्नति में साकारात्मक प्रभाव

रायपुर । भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कहा है कि पिछले तीन वर्षों में शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट के तेजी से बढ़ते उपभोग से ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक उन्नति में साकारात्मक प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा आज यहां ‘डिजिटल इंडिया- ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक उन्नति एवं सामाजिक परिवर्तन का आधार’ विषय पर आयोजित सेमिनार में ट्राई के सलाहकार विनोद गुप्ता ने कहा कि 2016 से पहले जहां ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट के इस्तेमाल का प्रति उपभोक्ता मासिक औसत एमबी में हुआ करता था वहीं अब यह बढ़कर मासिक औसत नौ से 10 जीबी तक पहुंच गया है।
उन्होने ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक विकास में डिजिटल इंडिया परियोजना के महत्व के बारे में विस्तार से बताते हुए गत कुछ वर्षों में सूचना संचार के क्षेत्र में ग्रामीण भारत में हुई प्रगति के आंकड़े बतलाए और कहा कि केंद्र एवं सभी राज्य सरकारे एवं अन्य सभी शासकीय एवं अशासकीय संस्थान इस दिशा में भरपूर प्रयास कर रहे हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी)भिलाई के निदेशक रजत मूना ने भविष्य की तकनीकी जैसे 5-जी, ओवर द टॉप, इंटरनेट ऑन थिंगआदि का उल्लेख करते हुए यह भी बताया कि इन नई तकनीक का ग्रामीण इलाकों में किस तरह से उपयोग होगा।उन्होने अपने प्रेजेंटेशन में बताया कि फ़ाइबर की मदद से मिलने वाली इंटरनेट बेंड्विड्थ देश में बदलाव का सबसे बढ़ा माध्यम बन रहा है।
दूरसंचार विभाग के वरिष्ठ उप-महानिदेशक टी.के.पॉल ने कहा कि नेशनल ऑप्टिकल फ़ाइबर परियोजना के माध्यम से देश की प्रत्येक ग्राम-पंचायत को फ़ाइबर से जोड़ने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। उन्होने बताया कि छत्तीसगढ़ के 19500 गावों में से मात्र 2700 गाँव मोबाइल सेवा के कवरेज से छूट हैं, और भारत सरकार इस बारे में तेजी से प्रयास कर रही है। उन्होंने परियोजना पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि यह सूचना संचार के क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।


