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डेयरी व्यवसाय अपनाकर पूजा बनी आत्मनिर्भर

 कुछ करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो और व्यक्ति मेहनत करने के लिए तैयार हो, तो उसकी सफलता निश्चित है

डेयरी व्यवसाय अपनाकर पूजा बनी आत्मनिर्भर
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जांजगीर। कुछ करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो और व्यक्ति मेहनत करने के लिए तैयार हो, तो उसकी सफलता निश्चित है। डेयरी व्यवसाय को अपना कर मिसाल कायम करने वाली विकासखण्ड सक्ती के ग्राम जगदल्ला की 29 वर्षीय श्रीमती पूजा चन्द्रा इसका सबसे बढ़ियां उदाहरण है। पूजा एक कर्मठ महिला है जो अपने कार्यों की बदौलत आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।

पहले पूजा केवल गृहणी थी, पर अब पशुपालन (डेयरी) व्यवसाय अपनाने के बाद उन्हें हर माह करीब 50 हजार रूपये की आमदनी हो रही है। दरअसल श्रीमती पूजा चन्द्रा के पति एक प्रायवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। श्रीमती पूजा ने बताया कि केवल पति के तन्ख्वाह से घर-परिवार का खर्च पूरा नहीं पड़ता था, इन स्थितियों को देखते हुए उन्होंने अतिरिक्त आमदनी के लिए स्वयं कुछ निजी व्यवसाय करने की ठानी और पशुपालन (डेयरी) व्यवसाय को अपनाने का फैसला किया। कृषक परिवार से होने के कारण डेयरी व्यवसाय में उनका विशेष रूझान था।

पशुपालन के लिए जब उन्होंने शासकीय पशु चिकित्सालय के डॉक्टर ए.के. गबेल से संपर्क किया, तब उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना की जानकारी मिली। इस योजना में वीटीपी के माध्यम से पशु चिकित्सालय सक्ती में श्रीमती चन्द्रा ने डेयरी फार्मिंग व्यवसाय में एक माह (180 घंटे) का नि:शुल्क प्रशिक्षण प्राप्त किया। पूजा ने बताया कि पशु चिकित्सालय में उन्हें नियमित और गुणवत्ता युक्त प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है। वहां पशुओं के रख-रखाव की हर छोटी-बड़ी बातें सिखायी गई। प्रशिक्षण के बाद श्रीमती पूजा ने पशुधन विकास विभाग की राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के अंतर्गत 12 लाख रूपये की लागत से नवीन डेयरी फार्म खोलने का आवेदन पंजाब नेशनल बैंक शाखा सक्ती में प्रस्तुत किया। बैंक ने पूजा की प्रशिक्षण को देखते हुए डेयरी पालन हेतु 12 लाख रूपये ऋण की स्वीकृति प्रदान कर दी।

इस राशि से पूजा ने 15 नग उन्नत नस्ल की गाय खरीदी। गायों के लिए मवेशी कोठा का निर्माण किया। निजी बोर खनन और वर्मी टांका का निर्माण कर एक वर्ष पहले उन्होंने डेयरी फार्म शुरू किया। पूजा ने बताया कि ऋण राशि की किश्तें वर्ष 2017 से शुरू हुईं हैं तथा कुल 12 लाख ऋण राशि में से 6 लाख रूपये अनुदान की राशि है। वर्तमान में डेयरी फार्म से श्रीमती पूजा चन्द्रा को प्रतिदिन लगभग 150 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है।

स्थानीय बाजार में दूध की बिक्री से श्रीमती चन्द्रा को प्रतिमाह करीब 50 हजार रूपये की आमदनी हो रही है। आज खुद आत्मनिर्भर होने के साथ वे दो बेरोजगार युवकों को वे रोजगार दे रहीं हैं। पशुधन विकास विभाग द्वारा उनकी डेयरी की नियमित देखभाल के साथ ही पशुओं को सतत् रूप से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि श्रीमती चन्द्रा डेयरी फार्म में उत्पन्न गोबर खाद एवं केंचुआ खाद का उपयोग अपने कृषि भूमि में जैविक खाद के रूप में कर रही हैं।

पूजा ने बताया कि जब उन्होंने डेयरी व्यवसाय शुरू का विचार किया तो उनके पति देवप्रसाद चन्द्रा और परिवार वालों ने इस कार्य के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया। देवप्रसाद चन्द्रा भी हमेशा अपनी पत्नी के कार्यों की तारीफ करते हैं। देवप्रसाद ने बताया कि उनकी पत्नी श्रीमती पूजा दूध निकलवाने और उसके वितरण का कार्य स्वयं संपादित करती हैं। गुणवत्ता युक्त दूध वितरण के कारण सक्ती शहर में उनके डेयरी को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। श्रीमती पूजा की सफलता को देखते हुए अनेक लोग इस व्यवसाय को शुरू करने के बारे में जानकारी लेने उनके पास आते रहते हैं।



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