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एनजीटी के फरमान के बाद जागा प्रदूषण बोर्ड, दर्जनों अस्पतालों पर कार्यवाई
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पिछले दो दिनों से लगातार सक्रीय नजर आ रहा है

ग्वालियर: मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पिछले दो दिनों से लगातार सक्रीय नजर आ रहा है। बोर्ड ने 13 अस्पतालों के पंजीयन निरस्त करने के निर्देश दिए हैं यह निर्देश अस्पतालों द्वारा मेडिकल वेस्ट खुले में फेंकने और अनियमित रूप से निष्पादन करने के चलते दिए गए हैं वहीं 11 अस्पतालों को बंद करने के निर्देश मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिए हैं जानकारी देते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ऋषिराज सेंगर ने बताया कि एनजीटी के निर्देशों के मुताबिक हमने 100 अस्पतालों की सूची तैयार की थी जिसके बाद 11 अस्पतालों को बंद करने के निर्देश दिए हैं 13 अस्पतालों का पंजीयन निरस्त करने के और 35 अस्पतालों पर पर नोटिस की कार्रवाई की गई है इन अस्पतालों द्वारा CBWTF की सदस्यता नहीं लिए जाने से शहर में मेडिकल वेस्ट यहां वहां फेंकने से प्रदूषण और संक्रमण का खतरा बना हुआ था जिसके चलते यह कार्रवाई की गई है।
गुरुवार को कुल 59 अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया था, जबकि शुक्रवार को 22 अस्पतालों को नोटिस जारी किए गए। अस्पतालों के पास consent to establishment नहीं है और है तो फिर consent to oprate नहीं है। या एक्सपायर हो गए हैं। अब सवाल य़ह खड़ा होता है कि इतने लम्बे समय से य़ह अस्पताल बिना मापदंड पूरे किए कैसे संचालित हो रहे थे। बिना consent के य़ह अस्पताल क्यूँ संचालित हो रहे थे, इनकी मॉनिटरिंग क्यूँ नहीं की गयी?
आपको बता दें कि बायो मेडिकल वेस्ट के शत प्रतिशत निस्तारण के लिए एनजीटी की सेंट्रल जोन बेंच ने गैप एनालिसिस की प्रक्रिया पूरी करने पर जोर दिया है। 22 अगस्त 2022 को बेंच ने प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया था लेकिन एक साल बाद भी मध्यप्रदेश प्रदूषण बोर्ड ने कार्यवाई पूरी नहीं की। अब बेंच ने 2 माह के भीतर गैप एनालिसिस पूरा करने और उस रिपोर्ट के आधार पर स्टेट एनवायरनमेंट इफेक्ट मुल्यांकन प्राधिकरण को एक माह के भीतर कार्यवाई का आदेश दिया है।
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