किस कानून के तहत मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक और निरीक्षण कर रहे हैं: सौरभ भारद्वाज
प्रेस वार्ता के दौरान कुछ वीडियो दिखाते हुए सौरभ भारद्वाज ने बताया कि इन वीडियो में देखा जा सकता है, कि केवल एक बैठक में संयोगवश मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति जाकर नहीं बैठ गए थे, बल्कि एक सोची समझी रणनीति के तहत मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति की अथॉरिटी को सरकारी अधिकारियों के बीच स्थापित किया जा रहा है

- मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति द्वारा अधिकारियों को निरीक्षण पर ले जाना और निर्देश देना गैर संवैधानिक : सौरभ भारद्वाज
- सोची समझी रणनीति के तहत मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति को सरकारी तंत्र के बीच स्थापित किया जा रहा है : सौरभ भारद्वाज
- खुद सीएम रेखा गुप्ता अपने सोशल मीडिया अकाउंट से अपने भी पति के वीडियो पोस्ट कर रही हैं : सौरभ भारद्वाज
- अधिकारियों और ठेकेदारों को इशारा दिया जा रहा है कि सीएम का काम उनके पति संभालते हैं : सौरभ भारद्वाज
- भारतीय राजनीतिक इतिहास में भ्रष्टाचार के मामलों से बचने के लिए पहले भी ऐसे हथकंडे अपनाए जाते रहे हैं : सौरभ भारद्वाज
- शालीमार बाग की जनता ने रेखा गुप्ता जी को वोट देकर चुना था न कि उनके पति को : सौरभ भारद्वाज
- क्या भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली को एक अक्षम और अयोग्य मुख्यमंत्री दी है? : सौरभ भारद्वाज
नई दिल्ली। पार्टी मुख्यालय में हुई एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत और भारत की राजधानी दिल्ली जहां इस बार भाजपा की सरकार बनी और भाजपा ने एक महिला को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना। उन्होंने कहा कि पहले यह बात मजाक के तौर पर उठा करती थी, कि भाजपा ने दिल्ली की सरकार को फुलेरा की पंचायत बना दिया है, परंतु अब यह बेहद ही गंभीर मामला बन गया है। क्योंकि दिल्ली भारत की राजधानी है और न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतरराष्ट्रीय मीडिया की नजरे हमेशा दिल्ली पर गड़ी रहती हैं। ऐसे में भाजपा की उस महिला मुख्यमंत्री के पति सरकारी बैठकों में मुख्यमंत्री के साथ कुर्सी लगाकर, सरकारी अधिकारियों की बैठक ले रहे हैं, यह अपने आप में बेहद ही विचारणीय और गंभीर मुद्दा है। सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि अक्सर ऐसा देखा जाता है, कि ग्राम पंचायत के चुनाव में या नगर निगम के चुनाव में कोई सीट महिलाओं के लिए रिजर्व हो गई और उस सीट पर जो व्यक्ति तैयारी कर रहा था, उसने अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाया और वह जीत गई। ऐसी स्थिति में उस महिला ग्राम प्रधान या निगम पार्षद का पति क्षेत्र के कार्यों को संभालता है, क्षेत्रीय मामलों में सोच विचार करता है और निर्णय लेता है और उस पद पर आसीन महिला प्रधान या निगम पार्षद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने का काम करती है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ग्राम पंचायत या नगर निगम के स्तर तक यह बात समझ आती है, परंतु दिल्ली सरकार के स्तर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के साथ उनके पति मीटिंग में बैठकर मुख्यमंत्री के साथ सरकारी अधिकारियों की बैठक ले रहे हैं, यह समझ से बिल्कुल परे है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब यह मामला मीडिया में उठा तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से सफाई दी गई, कि कहीं कोई एक बैठक थी और उसमें मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति बस यूं ही बैठे हुए थे। मीडिया के साथियों को प्रेस वार्ता के दौरान कुछ वीडियो दिखाते हुए सौरभ भारद्वाज ने बताया कि इन वीडियो में देखा जा सकता है, कि केवल एक बैठक में संयोगवश मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति जाकर नहीं बैठ गए थे, बल्कि एक सोची समझी रणनीति के तहत मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति की अथॉरिटी को सरकारी अधिकारियों के बीच स्थापित किया जा रहा है, कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी का कार–भार उनके पति संभाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि केवल एक बैठक की बात होती तो समझ आता है, परंतु मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति की दर्जनों वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद है, जहां वह अधिकारियों की बैठक ले रहे हैं, अधिकारियों संग धरातल पर निरीक्षण कर रहे हैं, और छोटी-छोटी रील बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट की जा रहीं हैं। सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि इससे पहले भी भारतीय राजनीति में ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं, जहां पर मुख्यमंत्री ने अपने परिवार के किसी व्यक्ति को अपनी जगह पर कार–भार संभालने के लिए स्थापित किया है, ताकि यदि कल को किसी प्रकार की कोई गड़बड़ हो और पकड़ी जाए तो मुख्यमंत्री किसी मामले में न फंसे। उन्होंने कहा जिस प्रकार से दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति सरकारी अधिकारियों की बैठक ले रहे हैं, उनके साथ निरीक्षण करने जा रहे हैं और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी खुद अपने सोशल मीडिया पर उनकी वीडियो पोस्ट कर रही हैं, यह साफ है कि सरकारी अधिकारियों को तथा सरकार के साथ व्यवसाय करने वाले पूंजीपतियों को यह मैसेज दिया जा रहा है कि मुख्यमंत्री का काम उनके पति देख रहे हैं और यह अपने आप में बहुत गंभीर बात है।
भाजपा के नेशनल सोशल मीडिया के हेड अमित मालवीय द्वारा किए गए ट्वीट का हवाला देते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि अमित मालवीय कह रहे हैं, कि जो बैठक की फोटो दिखाई जा रही है रेखा गुप्ता जी की विधानसभा में ली गई एक बैठक है, जिसे उनके पति द्वारा आयोजित किया गया था। साथ ही साथ अमित मालवीय ने कहा कि यह बिल्कुल वैसा ही है जिस प्रकार से शीला दीक्षित की सरकार में उनकी बहन रमा धवन उनका काम देखती थीं। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उस विधानसभा के लोगों ने रेखा गुप्ता जी को वोट देकर चुना है और यह उनकी जिम्मेदारी है कि विधानसभा की बैठकों का आयोजन वह खुद करें न कि उनके पति। साथ ही साथ सौरभ भारद्वाज ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति का एक वीडियो मीडिया बंधुओ को दिखाया, जिसमें वह अधिकारियों को एक कम्युनिटी सेंटर के संबंध में निर्देश देते हुए दिख रहे हैं, कि इसे इतना बड़ा बनाया जाएगा, पार्किंग को किस प्रकार से बनाया जाएगा। सौरभ भारद्वाज ने मीडिया के माध्यम से अमित मालवीय और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से प्रश्न पूछते हुए कहा, कि वह बताएं कि आखिर किस अधिकार से मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के पति सरकारी अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं? यह पूरी तरह से गैर कानूनी है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मैं अमित मालवीय जी का धन्यवाद करता हूं जो उन्होंने इस बात को याद दिलाया कि शीला दीक्षित जी का कामकाज उनकी बहन रमा धवन संभालती थीं, और हमारी चिंता यही है।
मीडिया के माध्यम से सौरभ भारद्वाज ने भारतीय जनता पार्टी से कुछ प्रश्न पूछे जो निम्न प्रकार से हैं:
1) क्या मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता खुद अपने कार्यों को करने में सक्षम और योग्य नहीं हैं?
2) क्या भाजपा के पास कोई ऐसा योग्य व्यक्ति नहीं है जो मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के साथ काम कर सके उनका ओएसडी या पीएस बनकर?
3) भाजपा कोई एक ऐसा कानून बता दे जिसके अनुसार मुख्यमंत्री का पति उनकी जगह पर सरकारी अधिकारियों को निर्देश दे सकते हैं।
मीडिया के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से प्रश्न पूछते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि दिल्ली की जनता जानना चाहती है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा नियुक्त की गई दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी, जो अपने सरकारी कामकाज अपने पति के द्वारा करा रही हैं, तथा सरकारी अधिकारियों एवं सरकार के साथ व्यवसाय करने वाले पूंजीपतियों के बीच जो एक मैसेज देने की कोशिश की जा रही है, नैतिकता और स्वच्छ राजनीति की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की इस पर क्या राय है?


