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भाजपा और चुनाव आयोग के बीच का रिश्ता लोकतंत्र के लिए खतरा : मनोज झा

बिहार एसआईआर प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद मनोज झा ने एक बार फिर भाजपा और चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच का रिश्ता लोकतंत्र के लिए खतरा है

भाजपा और चुनाव आयोग के बीच का रिश्ता लोकतंत्र के लिए खतरा : मनोज झा
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मनोज झा ने भाजपा-चुनाव आयोग पर खड़े किए गंभीर सवाल, कहा-दोनों के बीच का रिश्ता लोकतंत्र के लिए खतरा

नई दिल्ली। बिहार एसआईआर प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद मनोज झा ने एक बार फिर भाजपा और चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच का रिश्ता लोकतंत्र के लिए खतरा है।

राजद सांसद ने कहा कि एसआईआर के मुद्दे पर सवाल चुनाव आयोग से किया जाता है तो भाजपा के नेता जवाब देते हैं। भाजपा बताए कि उसके नेता आयोग के प्रवक्ता बन गए हैं?

उन्होंने गुरुवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा कि भाजपा और चुनाव आयोग के बीच का रिश्ता लोकतंत्र के लिए खतरा है।

राजद सांसद ने आगे कहा कि भाजपा को बहुत जल्दबाजी है कि कोर्ट क्या फैसला देगा। मुझे लगता है कि इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोर्ट में सुनवाई जारी है।

राजद सांसद ने एसआईआर पर सवाल उठाया कि इसमें आधार कार्ड, ईपीआईसी कार्ड और राशन कार्ड को क्यों नहीं शामिल किया गया, जबकि कोर्ट ने टिप्पणी की थी। हैरानी की बात है कि चुनाव आयोग इतना कमजोर हो गया है कि उसने अपनी रक्षा का जिम्मा भाजपा को सौंप दिया है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष सवाल चुनाव आयोग से कर रहा है और जवाब भाजपा दे रही है। ऐसा लगता है कि भाजपा आयोग की निष्पक्षता को खत्म करना चाहती है।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की यात्रा पर राजद सांसद ने कहा कि मुझे लगता है कि जिसने भी भाजपा को बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर कराने की सलाह दी थी, वह भाजपा का दुश्मन है। बिहार की जनता एसआईआर का विरोध करने लगी है।

उन्होंने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिए ऐसी कोई भी टिप्पणी मेरे नाम से न की जाए। मैंने पहले भी कहा था कि चुनाव आयोग के आदर्श सुकुमार सेन थे, जो हमारे पहले मुख्य चुनाव आयुक्त थे। भाजपा वाले व्हाट्सएप के ज्ञान पर भरोसा करते हैं, शायद उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। व्यक्ति और संस्था अनुकरणीय होनी चाहिए, बांग्लादेश के चुनाव आयोग जैसी नहीं होनी चाहिए।


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