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ईवीएम की पारदर्शिता को लेकर प्रियांक खरगे ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र

कर्नाटक के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को औपचारिक तौर पर पत्र लिखकर आग्रह किया है कि चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जनता का विश्वास बहाल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का व्यापक ऑडिट एवं परीक्षण किया जाना चाहिए

ईवीएम की पारदर्शिता को लेकर प्रियांक खरगे ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र
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प्रियांक खरगे का ईसीआई को पत्र, 'कर्नाटक ईवीएम-वीवीपैट के पारदर्शी मूल्यांकन के लिए तैयार'

बेंगलुरु। कर्नाटक के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को औपचारिक तौर पर पत्र लिखकर आग्रह किया है कि चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जनता का विश्वास बहाल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का व्यापक ऑडिट एवं परीक्षण किया जाना चाहिए।

खरगे ने अपने पत्र में कहा कि उन्होंने 03 दिसंबर 2024 को भी चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर ईवीएम की सुरक्षा और प्रक्रियागत कमियों के विषय में चिंता जाहिर की थी। उन्होंने उल्लेख किया कि कर्नाटक में तकनीक, शोध और विकास पारितंत्र की व्यापक व्यवस्था होने के कारण राज्य न्यायालय की निगरानी में ईवीएम का परीक्षण और ऑडिट कराने में सक्षम है। उन्होंने सलाह दी कि न्यायालय और तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञों की कड़ी निगरानी में इस तरह का परीक्षण कराया जा सकता है, जिससे चुनाव की सत्यनिष्ठा के बारे में लोगों की चिंताओं को दूर किया जा सके।

खरगे ने जोर देकर कहा कि उनके सुझाव चुनावी व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के बजाए इसे मजबूत करने के उद्देश्य से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे संस्था की स्वतंत्रता और हमारे चुनाव की सत्यनिष्ठा को लेकर सवाल उठने लगे हैं, यह जरूरी हो गया है कि ऐसे प्रस्तावों को अपनाया जाए जिनसे पारदर्शिता में वृद्धि हो। इन सलाहों को अनदेखा करने का अर्थ है संदेहों को और पुख्ता करना।"

मंत्री ने कहा कि जब वह इलेक्ट्रॉनिक, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी विभाग के मंत्री थे, तब उन्होंने चुनाव आयोग को कई बार तकनीक आधारित समाधान के जरिए चुनावी उत्तरदायित्व को बढावा देने के बारे में प्रस्ताव दिया था। उन्होंने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि जल्द से जल्द सुझावों पर कार्रवाई की जाए ताकि जनता का लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास मजबूत हो सके और चुनाव से संबंधित किसी भी संदेह को दूर किया जा सके।


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