सरकार के नए बिल को लेकर फूटा विपक्ष का गुस्सा, शाह पर फाड़कर फेंकी बिल की कॉपी
केंद्र सरकार के एक और बिल से सियासी घमासान मच गया है। विपक्ष के इस बिल को लेकर लगातार विरोध के बीच जब गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में ये बिल पेश किया तो विपक्ष का गुस्सा फुट उठा और विपक्षी सांसदों ने बिल की कॉपी को फाड़कर शाह पर फेंक दिया। जिसके कारण ये बिल पास नहीं हो पाया और इसे जेपीसी को भेजा गया

- नए बिल पर फूटा विपक्ष का गुस्सा
- विपक्ष ने अमित शाह पर फाड़कर फेंकी बिल की कॉपी
- 30 दिनों तक हिरासत में रहने पर जाएगी कुर्सी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के एक और बिल से सियासी घमासान मच गया है। विपक्ष के इस बिल को लेकर लगातार विरोध के बीच जब गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में ये बिल पेश किया तो विपक्ष का गुस्सा फुट उठा और विपक्षी सांसदों ने बिल की कॉपी को फाड़कर शाह पर फेंक दिया। जिसके कारण ये बिल पास नहीं हो पाया और इसे जेपीसी को भेजा गया।
दरअसल, इस बिल में प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री ऐसे गंभीर अपराधों में गिरफ्तार किए जाते हैं, जिनमें कम से कम पांच साल की जेल हो सकती है और उन्हें लगातार 30 दिन हिरासत में रखा जाता है, तो 31वें दिन उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।
केंद्र सरकार के मुताबिक, अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 की धारा 45 में संशोधन की ज़रूरत है। इस बिल पर विपक्ष की ओर बयान आने शुरू हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव का कहना है कि जिन राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री नहीं हैं उन्हीं के लिए ये बिल है।


