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शीतकालीन सत्र में 13 बिलों पर विपक्ष नाराज, फौजिया खान ने जताई आपत्ति

संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर विपक्ष की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। एनसीपी (एससीपी) की राज्यसभा सदस्य फौजिया खान ने कहा कि संसद का मूल उद्देश्य जनता की समस्याओं को उठाना और उन पर चर्चा करना है

शीतकालीन सत्र में 13 बिलों पर विपक्ष नाराज, फौजिया खान ने जताई आपत्ति
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फौजिया खान का आरोप: सरकार ने चर्चा का समय ही नहीं छोड़ा

  • संसद सत्र में विपक्ष की चिंता, 13 बिलों से बहस की गुंजाइश कम
  • फौजिया खान बोलीं – जनता के मुद्दों पर चर्चा नहीं, सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही है

नई दिल्‍ली। संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर विपक्ष की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। एनसीपी (एससीपी) की राज्यसभा सदस्य फौजिया खान ने कहा कि संसद का मूल उद्देश्य जनता की समस्याओं को उठाना और उन पर चर्चा करना है, लेकिन सरकार की ओर से पहले ही 15 दिनों के सत्र के लिए 13 बिल तय कर दिए जाने से सार्थक बहस की गुंजाइश ही नहीं बचती।

फौजिया खान ने कहा कि हमारा काम जनता के हित के मुद्दे उठाना और उनके सवालों को संसद तक पहुंचाना है, लेकिन अगर सरकार इतने कम समय में इतने बिल लाती है, तो फिर चर्चा कैसे संभव होगी? जिन मुद्दों को हम सत्र के दौरान उठाना चाहते हैं, उन्हें उठाने का समय ही नहीं मिलता।

उन्होंने कहा कि विपक्ष नागरिकों से जुड़े कई अहम विषयों जैसे स्वच्छ हवा, सुरक्षा और मौलिक अधिकार पर चर्चा करना चाहता है।

उन्होंने कहा कि हर नागरिक का अधिकार है कि वह साफ हवा में सांस ले, लेकिन देश के कई हिस्सों में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। नागरिकों का अधिकार है कि वे आतंकवादी हमलों से सुरक्षित रहें, लेकिन हमले लगातार जारी हैं। ऐसे में संसद में इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, परंतु सरकार चर्चा के लिए समय ही नहीं दे रही है।

सांसद ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है और चर्चा का दायरा सीमित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि यदि संसद में चर्चा का अवसर ही नहीं मिलेगा, तो फिर संसद का उद्देश्य क्या रह जाएगा?

इस बीच, नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज किए जाने पर भी फौजिया खान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाया जा रहा है।


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