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बिहार एसआईआर पर विपक्ष का हंगामा जारी, लेकिन चुनाव आयोग में अब तक एक भी आपत्ति नहीं दर्ज

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर लगातार राजनीतिक खींचतान है, लेकिन चुनाव आयोग में किसी भी विपक्षी दल ने कोई भी त्रुटि दूर करने के संबंध में दावा और आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। बुधवार को भारतीय चुनाव आयोग ने यह जानकारी साझा की

बिहार एसआईआर पर विपक्ष का हंगामा जारी, लेकिन चुनाव आयोग में अब तक एक भी आपत्ति नहीं दर्ज
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बिहार एसआईआर पर विपक्ष का हंगामा जारी

पटना। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर लगातार राजनीतिक खींचतान है, लेकिन चुनाव आयोग में किसी भी विपक्षी दल ने कोई भी त्रुटि दूर करने के संबंध में दावा और आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। बुधवार को भारतीय चुनाव आयोग ने यह जानकारी साझा की।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिहार की अंतिम मतदाता सूची में किसी भी योग्य मतदाता का नाम छूटने या किसी अयोग्य मतदाता का नाम जुड़ने की संभावना नहीं होनी चाहिए। इसके लिए 1 अगस्त को जारी की गई प्रारूप मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने के लिए सभी राजनीतिक दलों और आम जनता को अपने दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का निर्देश दिया गया था।

बुधवार को चुनाव आयोग ने एसआईआर बुलेटिन जारी किया, जिसमें अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने इस प्रक्रिया में कोई दावा या आपत्ति प्रस्तुत नहीं की है।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, योग्य मतदाताओं को शामिल करने और अयोग्य मतदाताओं को हटाने संबंधी निर्वाचकों से सीधे कुल 3,659 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। इसके अतिरिक्त, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु प्राप्त नए मतदाताओं से फॉर्म 6 और घोषणा पत्र समेत कुल 19,186 आवेदन प्राप्त हुए हैं।

आयोग ने कहा है कि दावों और आपत्तियों का निपटारा संबंधित निर्वाचन अधिकारी (ईआरओ और एईआरओ) की ओर से 7 दिनों की अवधि समाप्त होने के बाद किया जाएगा। एसआईआर के नियमों के अनुसार, 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित मसौदा सूची से किसी भी नाम को बिना जांच, उचित अवसर और स्पष्ट आदेश के हटाया नहीं जा सकता है।

बता दें, चुनाव आयोग ने बिहार में 24 जून से 25 जुलाई तक विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान चलाया। इस प्रक्रिया के दौरान कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा किए। 1 अगस्त को प्रकाशित राज्य की नई मसौदा मतदाता सूची में 65 लाख मतदाताओं के नाम नहीं थे।

65 लाख मतदाताओं में 22 लाख वह लोग थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन वोटर लिस्ट में नाम था। करीब 36 लाख (4.59 प्रतिशत) वो मतदाता हैं, जो दूसरी जगह रह रहे हैं या जिन्होंने फॉर्म नहीं भरे हैं। 7 लाख (0.89 प्रतिशत) ने दोहरा नामांकन कराया था।


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