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संचार साथी ऐप पर विपक्ष का हमला, सरकार पर जासूसी का आरोप

सरकार की तरफ से संचार साथी ऐप को हर फोन में पहले से ही इंस्टॉल करने को लेकर एक निर्देश जारी किया गया

संचार साथी ऐप पर विपक्ष का हमला, सरकार पर जासूसी का आरोप
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जबरन इंस्टॉल किए गए ऐप को लेकर विपक्ष ने उठाए निजता के सवाल

  • सिंधिया बोले ऐप हटाया जा सकता है, विपक्ष ने बयान पर जताई आपत्ति
  • पेगासस से आधार तक, विपक्ष ने निगरानी की राजनीति पर साधा निशाना
  • संचार साथी ऐप को लेकर प्राइवेसी और साइबर सुरक्षा पर गरमाई बहस

नई दिल्ली। सरकार की तरफ से संचार साथी ऐप को हर फोन में पहले से ही इंस्टॉल करने को लेकर एक निर्देश जारी किया गया। इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। इसके बाद मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई दी कि ऐप को जो चाहे, हटा सकता है। इस मुद्दे पर विपक्ष के तमाम नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है।

सरकार की तरफ से संचार साथी ऐप को हर फोन में पहले से ही इंस्टॉल करने को लेकर एक निर्देश जारी किया गया। इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। इसके बाद मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई दी कि ऐप को जो चाहे, हटा सकता है। इस मुद्दे पर विपक्ष के तमाम नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है।

सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास का कहना है कि देश निगरानी करने वाले देशों में शामिल हो रहा है। सरकार फोन में पहले से ही एक एप्लीकेशन इंस्टॉल करना चाहती है। इसके बाद विरोध शुरू हुआ तो मंत्री ने साफ किया कि अगर कोई भी इस ऐप को हटाना चाहता है तो उसे हटा सकता है। उन्होंने कहा कि फोन में ऐप को डाउनलोड करना और हटाना मोबाइल चलाने वाले के ऊपर निर्भर रहना चाहिए।

कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उलाका का कहना है कि नोटिफिकेशन में कहा गया है कि यह ऐप दिखना चाहिए, इसे कोई हटा ना सके। इसका क्या मतलब है? ज्योतिरादित्य सिंधिया कुछ और कह रहे हैं जबकि नोटिफिकेशन में कुछ और ही लिखा है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस ऐप की जरूरत ही क्या है? ये सभी पर निगरानी रखना चाहते हैं। हमें इस सरकार की नियत पर शक है, इसलिए हमें आपत्ति है।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि जबरन फोन में इंस्टॉल करने की जगह इस ऐप को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए कि हमारे पास एक ऐप है, जो साइबर सुरक्षा प्रदान कर सकता है। जबरदस्ती करने से समझ में आता है कि इसका मकसद कुछ और ही है।

कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने संचार साथी को लेकर सरकार पर हमला बोला और कहा कि मंत्री ने भले ही इस पर सफाई दी है, लेकिन इसे पढ़ने की जरूरत है कि वह कहना क्या चाहते हैं। जब लोग इसे अपने आप डिलीट कर सकते हैं, तो इसे जरूरी क्यों किया? जो काम पढ़े-लिखे या गांव में बैठे लोग कर रहे हैं, उन्हें क्या पता कि इसे डिलीट भी किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि यह जासूसी करने का एक तरीका है।

कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि बिना किसी जानकारी के सरकार ने यह फैसला ले लिया। अगर आप किसी की व्यक्तिगत जानकारी से जुड़ा फैसला ले रहे हैं तो कम से कम लोगों को तो भरोसे में लेना चाहिए। मोबाइल अब मेरा घर बन चुका है। इसके साथ छेड़खानी करने की इजाजत किसी को नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इस पर स्टडी करेंगे कि ऐप साइबर सुरक्षा तक ही सीमित है या लोगों की व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच बनाई जा रही है।

संचार साथी ऐप को लेकर टीएमसी सांसद डोला सेन का कहना है कि 14 साल से हम यही सब देख रहे हैं। पहले पेगासस की बात को इन्होंने स्वीकार नहीं किया। बाद में सामने आया कि इन्होंने पेगासस के लिए आवेदन किया था। वह भी हमारी व्यक्तिगत चीजों में हस्तक्षेप था और इसके बाद आधार कार्ड को बैंक अकाउंट और अन्य चीजों से जबरन लिंक करवाया।

उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि इन सबके बाद कह रहे हैं कि एसआईआर के वक्त आधार कार्ड मान्य ही नहीं कर रहे हैं। वे जनता और लोगों पर इसके जरिए निगरानी रखना चाहते हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस सांसद मोहम्मद रमजान ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि इस ऐप की कोई जरूरत नहीं है। यह लोगों की प्राइवेसी से जुड़ा मामला है। इसके जरिए उनकी हर व्यक्तिगत जानकारी ली जा सकती है।


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