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मनुवाद और बहुजनवाद, देश में आज दो विचारधाराओं की लड़ाई : उदित राज

कांग्रेस नेता उदित राज ने गुरुवार को एडीजी पूरन कुमार आत्महत्या मामला, रायबरेली लिंचिंग मामला, और कथित सीजेआई जूता कांड पर मीडिया से बात की

मनुवाद और बहुजनवाद, देश में आज दो विचारधाराओं की लड़ाई : उदित राज
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पूरन कुमार और हरिओम वाल्मीकि मामले पर उदित राज का सवाल- न्याय क्यों नहीं मिल रहा?

  • उदित राज ने उठाए दलित उत्पीड़न पर सवाल, कहा– अब विचारधाराओं की सीधी लड़ाई है
  • बहुजनवाद की आवाज बुलंद, उदित राज ने की 30 नवंबर की रैली की घोषणा
  • बिहार चुनाव पर उदित राज का दावा– नीतीश कुमार की भूमिका कमजोर, भाजपा ने बढ़ाई पकड़

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता उदित राज ने गुरुवार को एडीजी पूरन कुमार आत्महत्या मामला, रायबरेली लिंचिंग मामला, और कथित सीजेआई जूता कांड पर मीडिया से बात की।

उन्होंने कहा कि देश में एक महीने के भीतर तीन बड़ी घटनाएं हुईं। हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस पूरन कुमार को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जाता है। हरिओम वाल्मिकी को पीट-पीटकर मार दिया जाता है। ये घटनाएं क्यों बढ़ी हैं? इस क्रम में आज पूरे देश के विचारक, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता इकट्ठे हुए। आगामी 30 नवंबर को एक रैली होगी।

उन्होंने कहा कि आज दो विचारधाराओं की लड़ाई आमने-सामने है। एक मनुवाद है, दूसरा बहुजनवाद है। हम लोगों ने आईपीएस पूरन कुमार को श्रद्धांजलि दी। उनके परिवार को न्याय नहीं मिल पा रहा है। जांच के लिए एसआईटी का तो गठन कर दिया है, लेकिन परिणाम कुछ निकलकर नहीं आ रहा है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर पूरन कुमार का प्रकरण उठाया जाएगा। हाईकोर्ट के जज के अधीन एसआईटी का गठन होना चाहिए और जांच होनी चाहिए। तभी षड्यंत्र का पर्दाफाश हो पाएगा और सच्चाई सामने आ सकेगी। हमने हरियाणा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है।

कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक एवं आदिवासी संगठनों के परिसंघ (डोमा) द्वारा आयोजित एक बैठक में देश भर के सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक और बुद्धिजीवी शामिल हुए। बैठक में दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर चर्चा की गई और एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया। पूरन कुमार और हरिओम वाल्मीकि को श्रद्धांजलि दी गई।

बिहार विधानसभा चुनाव पर कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि मैं यह 200 प्रतिशत निश्चितता के साथ कह रहा हूं, क्योंकि हुआ यह है कि बिहार में उनका कोई वास्तविक जनाधार नहीं है और केवल सीएम नीतीश कुमार के आधार पर चुनाव लड़ा जा रहा है। यह आधार मूलतः सीएम नीतीश कुमार का है।

सीएम नीतीश कुमार प्रमुख सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन इस बार 101-101 सीटों के साथ बराबरी हो गई। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के हिस्से की सीट चिराग पासवान को ज्यादा दे दी। इस तरह से भाजपा बड़े भाई की भूमिका में आ गई। इस बार सीएम नीतीश कुमार का वही हाल होगा जो एकनाथ शिंदे का महाराष्ट्र में हुआ।


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