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महाराष्ट्र सरकार का तीन भाषा नीति को वापस लेना स्वागत योग्य कदम : रजनी पाटिल

महाराष्ट्र सरकार के तीन भाषा नीति को वापस लेने के निर्णय का कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रजनी पाटिल ने स्वागत किया है

महाराष्ट्र सरकार का तीन भाषा नीति को वापस लेना स्वागत योग्य कदम : रजनी पाटिल
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मुंबई। महाराष्ट्र सरकार के तीन भाषा नीति को वापस लेने के निर्णय का कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रजनी पाटिल ने स्वागत किया है। उन्होंने सोमवार को कहा कि इस फैसले के पीछे विपक्ष के सामूहिक दबाव और विरोध की अहम भूमिका रही है।

रजनी पाटिल ने कहा, "हम सभी ने इस नीति के खिलाफ दबाव बनाना शुरू किया था और इसका सामूहिक रूप से विरोध किया। मेरा मानना है कि यही कारण है कि सरकार को त्रिभाषा फॉर्मूले को वापस लेना पड़ा।"

पार्टी की रणनीति और महाराष्ट्र में संगठन को मजबूत करने के लिए चल रही तैयारियों पर कांग्रेस सांसद ने कहा कि पार्टी राज्य में अपनी स्थिति को और सशक्त करने के लिए लगातार बैठकें कर रही है और योजनाएं तैयार की जा रही हैं। राज्य स्तर पर नेतृत्व विचार-विमर्श कर सकता है, लेकिन पार्टी से संबंधित कोई भी अंतिम निर्णय हाईकमान द्वारा लिया जाएगा। पार्टी महाराष्ट्र में जनता के मुद्दों को उठाने और संगठन को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। पार्टी आगामी दिनों में और अधिक सक्रियता के साथ जनता के बीच जाएगी और उनकी समस्याओं को प्रमुखता से उठाएगी।

रजनी पाटिल ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कथित तौर पर वोटों की चोरी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी ने बार-बार इस मुद्दे को उठाया है कि महाराष्ट्र में वोटों की चोरी हुई है। हमारी बैठकों में इस पर विस्तार से चर्चा हुई। हम इन सभी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे और सच्चाई सामने लाने का काम करेंगे। कांग्रेस जनता तक पहुंचकर अपनी बात को स्पष्ट तरीके से रखेगी और संगठन को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाएगी।"

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की अटकलों पर भी कांग्रेस नेता ने कहा कि इस मुद्दे पर हाल की बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई और पार्टी इस पर कोई तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करेगी। इस तरह के सियासी घटनाक्रम पर हम यहां चर्चा कर सकते हैं, लेकिन आगे की दिशा और रणनीति केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तय की जाएगी।


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