Top
Begin typing your search above and press return to search.

इटहिया मेले को विकास और सांस्कृतिक सहयोग का माध्यम बनाया है : मंत्री जयवीर सिंह

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद स्थित निचलौल तहसील का पारंपरिक इटहिया सावन मेला इन दिनों भारत-नेपाल सीमा पर आस्था, संस्कृति और ग्रामीण पर्यटन के समन्वय का नया केंद्र बनकर उभर रहा है

इटहिया मेले को विकास और सांस्कृतिक सहयोग का माध्यम बनाया है : मंत्री जयवीर सिंह
X

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद स्थित निचलौल तहसील का पारंपरिक इटहिया सावन मेला इन दिनों भारत-नेपाल सीमा पर आस्था, संस्कृति और ग्रामीण पर्यटन के समन्वय का नया केंद्र बनकर उभर रहा है। यह मेला 11 जुलाई से शुरू हुआ है और नौ अगस्त तक चलेगा।

प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने शनिवार को बताया कि इटहिया मेला केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि सीमांत क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक विकास का माध्यम भी बन चुका है। उन्होंने कहा कि हमने इस मेले को ग्रामीण महिलाओं, कारीगरों और स्थानीय युवाओं को सशक्त करने का माध्यम बनाया है। ऐसे आयोजनों से न केवल विरासत सुरक्षित हो रही है, बल्कि सीमांत क्षेत्रों में सतत और समावेशी पर्यटन की संभावनाओं को भी सशक्त किया जा रहा है।

पर्यटन विभाग द्वारा इटहिया गांव में ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए 10 होम-स्टे इकाइयों की पहचान की गई है, जिनमें से 4 वर्तमान में संचालित हैं और 6 का विकास कार्य प्रगति पर है। ये सभी होम-स्टे स्वच्छ, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और स्थानीय समुदाय से जुड़े अनुभव प्रदान कर रहे हैं। छोटी गंडक नदी के तट पर स्थित इटहिया शिव मंदिर के पास आयोजित इस मेले में भारत और नेपाल से हजारों श्रद्धालु स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन और जलाभिषेक के लिए प्रतिदिन पहुंच रहे हैं।

यह मेला भारत-नेपाल सांस्कृतिक सहयोग और धार्मिक साझेदारी को नई मजबूती दे रहा है। मेले में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नौकायन, पारंपरिक हस्तशिल्प के स्टॉल और पूर्वांचली व्यंजनों से सजे फूड जोन पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। स्थानीय महिलाएं लिट्टी-चोखा, ठेकुआ, मौसमी भरता और पेड़ा जैसे व्यंजन तैयार कर रहीं हैं। वहीं मूंज शिल्प, कांथा कढ़ाई और अगरबत्ती निर्माण जैसे स्थानीय उत्पाद भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।

लमूहां तालाब में नौकायन, भेरिहरी गांव का झूला पुल और लोककथाओं से युक्त पर्यटन स्थलों का संचालन प्रशिक्षित स्थानीय युवाओं द्वारा किया जा रहा है, जिससे उन्हें रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं। पर्यटन मंत्री ने कहा कि इटहिया मेला यह स्पष्ट करता है कि जब आस्था और परंपरा को नीति और तकनीक से जोड़ा जाए, तो वह सीमांत अंचलों में भी विकास का आधार बन सकती है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it