चुनावी तीन तिगाड़ा, जिसने सारा काम बिगाड़ा :अखिलेश यादव
वोटों की चोरी को लेकर विपक्ष, चुनाव आयोग और केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर है। इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार, चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत वो चुनावी तीन तिगाड़ा है जिसने सारा काम बिगाड़ा है और देश के लोकतंत्र पर डाका डाला है। अब जनता इस त्रिगुट की अदालत लगाएगी

अखिलेश ने वोट चोरी को लेकर लगाया आरोप, बताया -भाजपा, चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत
लखनऊ। वोटों की चोरी को लेकर विपक्ष, चुनाव आयोग और केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर है। इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार, चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत वो चुनावी तीन तिगाड़ा है जिसने सारा काम बिगाड़ा है और देश के लोकतंत्र पर डाका डाला है। अब जनता इस त्रिगुट की अदालत लगाएगी।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बुधवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखते हुए कहा है कि कासगंज, बाराबंकी और जौनपुर के जिलाधिकारी जिस तरह से हमारे एफिडेविट पर सक्रिय हो गए हैं। उससे यह तो साबित हो गया है कि चुनाव आयोग की एफिडेविट न मिलने की बात झूठी निकली। उन्होंने कहा कि अब जिलाधिकारी इन पर सतही जवाब देकर खानापूर्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले में इन जिलाधिकारियों की संलिप्तता की जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि डीएम से जनता का एक सवाल है कि क्यों इतने वर्षों बाद उन्होंने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह कासगंज, बाराबंकी, जौनपुर के डीएम हमारे 18000 शपथपत्रों के बारे में अचानक अति सक्रिय हो गए हैं। उसने एक बात साबित कर दी है कि जो चुनाव आयोग कह रहा था कि एफ़िडेविट की बात गलत है मतलब एफिडेविट नहीं मिले, उनकी वो बात झूठी निकली। उन्होंने कहा कि अगर कोई एफिडेविट मिला नहीं है तो जिलाधिकारी लोग जवाब किस बात का दे रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि अब सतही जवाब देकर खानापूर्ति करने वाले इन जिलाधिकारियों की संलिप्तता की भी जांच होनी चाहिए। कोर्ट संज्ञान ले, चुनाव आयोग या डीएम में से कोई एक तो गलत है ही ना।
अखिलेश यादव ने कहा कि आखिरकार झूठ हारता ही है क्योंकि नकारात्मक लोगों का साझा-गोरखधंधा अपने-अपने स्वार्थों की पूर्ति करने के लिए होता है। ऐसे भ्रष्ट लोग न तो अपने ईमान के सगे होते हैं, न परिवार, न समाज के तो फिर भला अपने साझेदारों के कैसे होंगे। बेईमान लोग देश और देशवासियों से ताउम्र दगा करते हैं और अंततः पकड़े जाने पर अपमान से भरी ज़िंदगी जीने की सज़ा काटते हैं।


