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कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का बड़ा बयान, भारत-पाक मैच में सट्टे का खेल, देश का नेतृत्व हो रहा कमजोर

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने रविवार को भारत-पाकिस्तान मैच और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर तेजस्वी यादव की सभा में की गई अमर्यादित टिप्पणी पर अपनी बेबाक राय रखी। इसके अलावा, उन्होंने ओडिशा के स्कूलों में भगवत गीता पाठ के प्रस्ताव पर तल्ख टिप्पणी की

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का बड़ा बयान, भारत-पाक मैच में सट्टे का खेल, देश का नेतृत्व हो रहा कमजोर
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भारत-पाक मैच में सट्टे का खेल, देश का नेतृत्व कमजोर: इमरान मसूद

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने रविवार को भारत-पाकिस्तान मैच और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर तेजस्वी यादव की सभा में की गई अमर्यादित टिप्पणी पर अपनी बेबाक राय रखी। इसके अलावा, उन्होंने ओडिशा के स्कूलों में भगवत गीता पाठ के प्रस्ताव पर तल्ख टिप्पणी की।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत में भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर कहा कि जब भी भारत-पाकिस्तान मैच का नाम आता है, तो मुझे सबसे पहले सट्टा बाजार याद आता है। मैच से ज्यादा चर्चा इस बात की होती है कि बाजार का क्या रेट रहेगा। मैच में रोमांच से ज्यादा पैसों का खेल है। रोमांच बिकता है और अच्छे पैसे पर बिकता है।

बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर अमर्यादित टिप्पणी पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने नाराजगी जताई। इस पर इमरान मसूद ने पलटवार करते हुए कहा कि पहले नित्यानंद राय इस्तीफा दें। प्रधानमंत्री के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने वालों को उनकी सरकार पकड़ भी नहीं पा रही। उन्होंने सवाल किया कि सरकार इतनी कमजोर क्यों है?

मसूद ने कहा कि यह देश कमजोर नेतृत्व के हाथों में चला गया है। देश गर्त में जा रहा है। बार-बार एक ही बात पर रोना बंद करें और दोषियों को जेल भेजें। अगर सरकार आपकी है, तो जिम्मेदारी भी आपकी है। कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि यह सरकार सिर्फ नफरत परोस रही है। मुफ्त में नफरत बांट रही है। इसके अलावा इनके पास कोई काम नहीं है।

वहीं, ओडिशा के स्कूलों में भगवत गीता पाठ शुरू करने के प्रस्ताव पर भी कांग्रेस सांसद ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि आप नफरत परोसते रहिए। हमारा देश सेकुलर है। अगर आज गीता पढ़ाई जाएगी, तो कल कुरान, फिर बाइबिल, क्या सब कुछ पढ़ाया जाएगा? क्या यही शिक्षा नीति है?


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