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भाजपा शासित दिल्ली सरकार में 'ऑल इज नॉट वेल' : सौरभ भारद्वाज

आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा शासित दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने एक बड़ा ही विचित्र सा आदेश पारित किया है

भाजपा शासित दिल्ली सरकार में ऑल इज नॉट वेल : सौरभ भारद्वाज
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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा शासित दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने एक बड़ा ही विचित्र सा आदेश पारित किया है। दिल्ली का राजस्व विभाग मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के अधीन आता है, अर्थात रेखा गुप्ता दिल्ली की राजस्व विभाग मंत्री भी हैं और उनकी सहमति से यह आदेश पारित किया गया है।

उन्होंने कहा कि आदेश में यह कहा गया है कि अब से अगर दिल्ली सरकार में कोई मंत्री डीएम या एसडीएम को किसी बैठक के लिए बुलाता है तो उसे पहले मुख्य सचिव की अनुमति लेनी होगी, अर्थात बिना मुख्य सचिव की अनुमति के कोई मंत्री अब डीएम या एसडीएम को अपने किसी विभाग से संबंधित किसी भी मामले की बैठक में नहीं बुला सकेगा। यह आदेश अपने आप में बड़ा ही विचित्र सा आदेश है। इस आदेश में जनता द्वारा चुने गए विधायकों का अपमान किया गया है।

उन्होंने कहा कि इस आदेश में यह कहा जाना कि विधायक भी राजस्व विभाग के इन अधिकारियों को बैठकों और निरीक्षण में बुला लेते हैं, यह जनता द्वारा चुने गए विधायकों का अपमान है। विधायक कोई राह चलता व्यक्ति नहीं है। वह एक विधानसभा में रहने वाले लोगों द्वारा चुना गया प्रतिनिधि होता है। यदि विधायक अपने क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के मामलों में डीएम, एडीएम और एसडीएम को निरीक्षण के लिए नहीं बुलाएगा तो किसे बुलाएगा?

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार में केवल 6 मंत्री और एक मुख्यमंत्री हैं। अगर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को ऐसा लगता है कि उनकी सरकार के मंत्री राजस्व विभाग के अधिकारियों को बेवजह बुलाते हैं, परेशान करते हैं, तो यह बात वह मंत्रियों को मौखिक रूप से भी कह सकती थीं। इस प्रकार से आदेश पारित करना कई सवाल खड़े करता है। जब कोई समस्या पैदा होती होगी तभी मंत्री और विधायकों द्वारा राजस्व विभाग के अधिकारियों को बुलाया जाता होगा। अन्यथा बेवजह कोई भी मंत्री या विधायक राजस्व विभाग के अधिकारियों, डीएम, एडीएम और एसडीएम को क्यों बुलाएगा?

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस आदेश को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि ऑल इज नॉट वेल इन दिल्ली सरकार। लगता है कि दिल्ली सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रोटोकॉल के तहत एक विधायक का प्रोटोकॉल मुख्य सचिव के बराबर होता है और एक मंत्री का प्रोटोकॉल मुख्य सचिव से ऊपर होता है। यह बड़ा ही हास्यास्पद आदेश है कि अब एक मंत्री, जिसका प्रोटोकॉल मुख्य सचिव से ऊपर है, वह मुख्य सचिव से अनुमति लेगा कि क्या मैं अपनी बैठक में राजस्व विभाग के अधिकारियों को बुला लूं?


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