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25 जून भारतीय लोकतंत्र पर काला धब्बा, आपातकाल तानाशाही का प्रतीक : जगमोहन राजू

आपातकाल की बरसी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पंजाब के नेताओं ने पटियाला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कांग्रेस पर जुबानी हमला बोला

25 जून भारतीय लोकतंत्र पर काला धब्बा, आपातकाल तानाशाही का प्रतीक : जगमोहन राजू
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पटियाला। आपातकाल की बरसी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पंजाब के नेताओं ने पटियाला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कांग्रेस पर जुबानी हमला बोला। पंजाब भाजपा के महासचिव जगमोहन राजू ने कहा कि 25 जून भारतीय लोकतंत्र के माथे पर एक ऐसा काला धब्बा है, जिसे आज भी देश नहीं भूल पाया है।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए जगमोहन राजू ने कहा कि संविधान, जो किसी भी लोकतंत्र की आत्मा होती है, उस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजनीतिक स्वार्थ और कुर्सी बचाने के लिए हमला किया। आपातकाल लागू करने का जो प्रावधान संविधान में था, वह बाहरी युद्ध, आंतरिक विद्रोह या राष्ट्रीय संकट जैसी स्थिति के लिए था। लेकिन इंदिरा गांधी ने इसे निजी कारणों से लागू किया, जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ था।

भाजपा नेता ने कहा कि 1971 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी की जीत को विपक्षी नेता राज नारायण ने कोर्ट में चुनौती दी थी। 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का दोषी पाया और चुनाव लड़ने के लिए 6 साल तक के लिए अयोग्य ठहरा दिया। इसके बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने भी 24 जून को हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, तो इंदिरा गांधी ने सत्ता की चिंता में 25 जून की रात को आपातकाल लागू कर दिया। इसके तहत देशभर में विपक्षी नेताओं को जेलों में डाल दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी गई और लोकतंत्र की आवाज को कुचलने का प्रयास किया गया।

उन्होंने कहा कि आपातकाल में संविधान की आत्मा को कुचला गया। पत्रकारों को जेलों में बंद कर दिया गया, समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लगाई गई और जो भी सत्ता के विरुद्ध आवाज उठाने की कोशिश करता, उसे प्रताड़ित किया गया। कांग्रेस पार्टी को देश से इस ऐतिहासिक गलती के लिए सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेता जो आज लोकतंत्र की बात करते हैं, उन्हें अपने अतीत को देखना चाहिए और आत्मचिंतन करना चाहिए।

जगमोहन राजू ने आगे कहा कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि जब सत्ता का अहंकार बढ़ता है तो लोकतंत्र किस तरह खतरे में पड़ सकता है। देश की युवा पीढ़ी को इस काले अध्याय को जानना और समझना जरूरी है, ताकि फिर कभी भारत में लोकतंत्र पर हमला न हो।


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