बिहार में अति पिछड़ों को लेकर सियासत, 'शुभचिंतक' साबित करने में जुटी पार्टियां
बिहार में ऐसे भी जातियों को लेकर खूब राजनीति होती रही है। यहां कई सरकारें भी जातियों के वोटबैंक को लेकर बनी और गिरी भी

पटना। बिहार में ऐसे भी जातियों को लेकर खूब राजनीति होती रही है। यहां कई सरकारें भी जातियों के वोटबैंक को लेकर बनी और गिरी भी। इस बीच, हाल के दिनों में पिछड़ी जाति को लेकर खासकर अति पिछड़ों को लेकर सियासत खूब हो रही है।
भाजपा, जदयू सहित कई पार्टियां खुद को इनके सबसे ज्यादा शुभचिंतक साबित करने में जुटी है, जिससे इनके वोट को साधा जा सकेगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल का कहना है कि कहा कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने अति पिछड़ों के साथ जो अन्याय किया है, उन विसंगतियों को दूर करने के लिए भाजपा ने सामाजिक न्याय समिति का गठन किया है।
उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री डॉ भीम सिंह की अध्यक्षता में गठित इस तीन सदस्यीय समिति ने पिछले 20 से 25 दिनों में मामले से जुड़े सभी कागजातों का अध्ययन कर एक स्मार पत्र तैयार किया है, जिसे पिछड़ा आयोग और अति पिछड़ा आयोग को सौंपा गया।
जायसवाल ने कहा कि इस स्मार पत्र के जरिये भाजपा यह कोशिश करेगी जिन विसंगतियों के कारण लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने अति पिछड़ों के साथ अन्याय किया है, उन विसंगतियों को दूर किया जा सके।
इधर, जदयू के नेता और समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने केंद्र सरकार की दोहरी नीति को देखते हुए घोषणा की है कि छह दिसंबर से केसरिया से मुजफ्फरपुर, वैशाली होते हुए 12 दिसंबर को गांधी मैदान तक आरक्षण पद यात्रा किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ा समाज के 500 स्थायी तौर पर नेतृत्वकर्ता आरक्षण अधिकार पदयात्रा में भाग लेंगे। प्रतिदिन हजारों लोग पदयात्रा में शामिल होंगे।
मदन सहनी का कहना है कि मल्लाह, निषाद (बिंद. बेलदार, तीयर, खुलहट आदि ) तुरहा एवं राजभर आदि जाति के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, राजनीतिक एवं रोजगार में पिछड़ेपन को देखते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति में अधिसूचित करने पीएम को पत्र लिखा गया है।
इधर, वीआईपी के नेता मुकेश सहनी भी निषादों के आरक्षण की मांग कर रहे हैं।


