हिंसा पर राजनीति खतरनाक है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जुमले आपदा में अवसर को पूरी गंभीरता के साथ भाजपा नेताओं ने चरितार्थ करना शुरु कर दिया है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जुमले आपदा में अवसर को पूरी गंभीरता के साथ भाजपा नेताओं ने चरितार्थ करना शुरु कर दिया है। अमेरिका में चुनाव प्रचार कर रहे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले को भाजपा ने अपनी विचारधारा को बढ़ाने के अवसर के तौर पर देखा और राहुल गांधी पर नए सिरे से हमला बोलने की शुरुआत कर दी। न्यूज चैनलों की दुनिया में सबसे तेज होने का दावा करने वाले चैनल पर भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने अमेरिका में डेमोक्रेट्स नेताओं की ओर से डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ इस्तेमाल की गई भाषा और भारत में कांग्रेस नेताओं की ओर से प्रधानमंत्री मोदी के लिए इस्तेमाल की गई भाषा के बीच समानताएं बताईं और एक गंभीर आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेता और खासकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं।
अमित मालवीय ने ऑन एयर यह भी कहा कि 'इससे पहले कि कांग्रेस यह दावा करे कि उनके नेताओं की हत्या हुई, मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि उनकी हत्या उनके राजनीतिक फैसलों के कारण हुई।' हैरानी की बात यह है कि यह बात केवल उस कार्यक्रम तक सीमित नहीं रही, बल्कि जो एंकर इस कार्यक्रम को संचालित कर रहा था, उसने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर इस बयान को जस का तस पोस्ट करके बताया कि अमित मालवीय ने ऐसा कहा है।
इस बात के दो ही अर्थ हो सकते हैं, पहला तो यह कि हाथी की खिचड़ी खाकर मगन होने वाले इस तथाकथित एंकर-पत्रकार को भारत की लोकतांत्रिक विरासत और शहादत की शून्य समझ है, तभी उसने भाजपा नेता के बयान को कार्यक्रम के बाद सोशल मीडिया के जरिए प्रचारित किया। दूसरा अर्थ यह है कि एंकर समेत पूरा चैनल भाजपा के कांग्रेस विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए औजार की तरह इस्तेमाल हो रहा है। अब यह कांग्रेस के सोचने का विषय है कि वह अपने प्रवक्ताओं को इस चैनल पर बैठने की अनुमित दे या न दे, क्योंकि चैनल ने तो अपना पक्ष जाहिर कर ही दिया है। वैसे इस चैनल पर चुनाव के वक्त प्रियंका गांधी का साक्षात्कार भी प्रसारित हुआ था और इसकी मालिक के साथ उनकी तस्वीरें भी सामने आईं। प्रियंका गांधी के साक्षात्कार से चैनल को टीआरपी मिली होगी, लेकिन कांग्रेस को आखिर में क्या मिल रहा है, इस पर आत्ममंथन अगर कांग्रेस करे और यह समझे कि सियासी मकड़जाल में फंस चुके मीडिया में अपना बचाव वह किस तरह करे, तो शायद फिर भाजपा के एजेंडे का जवाब दिया जा सकता है।
बहरहाल, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अमित मालवीय की बर्खास्तगी की मांग प्रधानमंत्री से की है, वहीं कांग्रेस के मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा है कि क्या वह उनके विचार का समर्थन करते हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा, बीजेपी के इस बड़बोले नेता के अनुसार महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, सरदार बेअंत सिंह और छत्तीसगढ़ का पूरा कांग्रेस नेतृत्व राजनीतिक फैसलों के कारण हत्या के लायक था।' पवन खेड़ा ने भाजपा की मानसिकता पर भी सवाल उठाए।
कांग्रेस की इस निंदा पर भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी कोई जवाब देते हैं या नहीं, यह पता चल ही जाएगा। लेकिन दस सालों में बन चुके नए भारत के इस सच को देखकर भविष्य के भारत की तस्वीर का अनुमान लगाना कठिन नहीं है। राहुल गांधी ने भारत के ऐसे भविष्य की ओर ही आगाह करते हुए दो साल पहले केंब्रिज विवि में कहा था कि -पूरे देश में केरोसिन छिड़क दी गई है, केवल चिंगारी लगाने की देर है। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा में नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान का जो नारा दिया था, उसके मायने कितने गहरे थे, ये बात आज और खुलासे के साथ समझी जा सकती है। राहुल गांधी की बात पर भाजपा नेताओं को तब भी आपत्ति थी और वे उन पर देशविरोधी बात कहने का आरोप लगाते थे। भाजपा नेता आज भी राहुल गांधी को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। जबकि राहुल गांधी बार-बार हर तरह की हिंसा के खिलाफ ही बात करते आए हैं। अभी कुछ वक्त पहले राहुल गांधी तीसरी बार मणिपुर गए थे और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से फिर से अपील की थी कि वे इस राज्य में शांति बहाली के लिए खुद आएं और हालात को समझें।
राहुल गांधी की यही राजनीति और देश के मौजूदा हालात पर उनका सटीक विश्लेषण भाजपा को शायद चुभता है, इसलिए उनके विरोध के लिए बार-बार मौके तलाशे जाते हैं। डोनाल्ड ट्रंप पर हमला ऐसा ही एक मौका था। लेकिन राहुल गांधी पर ऊंगली उठाकर हालात सुधारे नहीं जा सकते। इसका बड़ा उदाहरण बिहार है, जहां विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया और इंडिया गठबंधन के नेता मुकेश सहनी के पिता की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद नीतीश कुमार के राज में कानून व्यवस्धा पर सवाल उठने लगे हैं, लेकिन भाजपा नेता अजय आलोक ने कहा कि सभ्य समाज में ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। भाजपा नेता अपराधी को पकड़ लेने का दावा कर रहे हैं, पर सवाल यही है कि आखिर हिंसा के लिए समाज में जगह बनाने का काम क्यों हो रहा है और इसे सामान्य क्यों लिया जा रहा है।
सामान्य लोगों से लेकर दो-दो पूर्व प्रधानमंत्रियों समेत कई अहम हस्तियों की हत्या की अनेक घटनाएं देश में हुई हैं और अब तक ऐसी हर घटना पर पार्टी लाइन से ऊपर उठकर निंदा की जाती रही है। लेकिन अब इस पर जिस तरह की राजनीति की जा रही है, वह चिंतनीय है।


