पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान शिक्षकों की मौत को लेकर राजनीति गरमाई
पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान शिक्षकों की कोरोना संक्रमण से मौत के मामले में राजनीति गरमा गयी

लखनऊ। पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान शिक्षकों की कोरोना संक्रमण से मौत के मामले में राजनीति गरमा गयी है। एक तरफ विपक्ष हमलावर है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षक संगठन पहले ही चिट्ठी लिखकर अपना एतराज जता चुका है। उधर, सरकार की ओर बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चन्द्र द्विवेदी ने शिक्षक संघ के आंकड़े और विपक्ष के बयानों को गलत बताया है। कुछ शिक्षक संघ द्वारा 1621 शिक्षकों की मौत का जो आंकड़ा दिया गया है, शिक्षक संगठनों के दावे को गलत ठहराते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मृत्यु हुई है। सरकार के आंकड़ों ने सभी को चैंका दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने आयोग की गाइडलाइन के आधार पर स्पष्ट किया है कि मतदान मतगणना के प्रशिक्षण एवं मतगणना ड्यूटी के लिए घर से कार्यस्थल और कार्यस्थल से घर के बीच किसी भी कारण से हुई मौत पर ही मुआवजा दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने 16 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर कहा कि राज्य के सभी 75 जिलों में पंचायत चुनाव ड्यूटी करने वाले 1621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों और कर्मचारियों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हुई है। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि पंचायत चुनाव की ड्यूटी करते हुए अभी तक तीन शिक्षकों की मौत हुई है। जिलाधिकारियों ने राज्य निर्वाचन आयोग को तीन शिक्षकों की ही मौत की प्रामणिक सूचना भेजी है।
बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसचिव सत्य प्रकाश ने कहा है कि भ्रामक व तथ्यों से विपरीत प्रकाशित खबरों से भ्रमित न हों और कोविड संक्रमण के रोकथाम के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में सहयोग प्रदान करें।
इस मामले सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि, "उप्र की निष्ठुर भाजपा सरकार मुआवजा देने से बचने के लिए अब ये झूठ बोल रही है कि चुनावी ड्यूटी में केवल 3 शिक्षकों की मौत हुई है, जबकि शिक्षक संघ का दिया आंकड़ा 1000 से अधिक है। भाजपा सरकार महा झूठ का विश्व रिकॉर्ड बना रही है। परिवारवालों का दुख ये हृदयहीन भाजपाई क्या जानें।"
कांग्रेस ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया जताई है प्रदेश प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि 2 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने सरकार की गलती से अपने प्राणों की आहूति दे दी। भाजपा ने चुनाव की जिद की और कोरोना गांव-गांव पहुंच गया। यदि शिक्षक अपने घर रहते तो उनकी जान बच सकती थी। 2 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने अपनी जान गवाई है। सरकार मुआवजा देने से बच रही है। उसमें आंकड़ेबाजी कर रही है। सरकार कुतर्क कर रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिन शिक्षकों ने अपनी जान गवाई है। उन्हें मुआवजा दें ताकि उनका परिवार सकुशल चल सके।
इस मामले में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीष चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार मात्र 3 शिक्षकों की मौत हुई है। उनके प्रति हमारी संवेदना है। सरकार उनके आश्रितों को 30 लाख रुपए और नौकरी देगी।


