राजनेता इस बात को जान गए हैं कि वे पानी के नाम पर वोट हासिल कर सकते हैं: जलपुरुष राजेंद्र सिंह
स्टॉकहोम वॉटर प्राइज से सम्मानित और दुनिया में जलपुरुष के तौर पर विख्यात राजेंद्र सिंह वर्तमान मोदी सरकार द्वारा गंगा नदी सहित जल संरक्षण के लिए किए गए वादों पर अमल न किए जाने से बेहद दुखी हैं

भोपाल। स्टॉकहोम वॉटर प्राइज से सम्मानित और दुनिया में जलपुरुष के तौर पर विख्यात राजेंद्र सिंह वर्तमान मोदी सरकार द्वारा गंगा नदी सहित जल संरक्षण के लिए किए गए वादों पर अमल न किए जाने से बेहद दुखी हैं। उनका कहना है कि इस सरकार ने तो 'सत्यमेव जयते' को 'झूठमेव जयते' में बदल दिया है।
राजेंद्र सिंह ने कहा, "वर्तमान की केंद्र सरकार ने भूजल पुनर्भरण के लिए 6000 करोड़ की योजना का ऐलान किया था, मगर वह योजना अब तक अमल में नहीं आई है। धरती का पेट पानी से खाली हो रहा है और उससे लगातार दोहन किया जा रहा है। यह स्थितियां प्रकृति के साथ देश के लिए अच्छी नहीं हैं।"
एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि, "राजनेता इस बात को जान गए हैं कि वे पानी के नाम पर वोट हासिल कर सकते हैं, यही कारण है कि, आम आदमी को चुनाव से पहले पानी के संरक्षण नहीं बल्कि उसके दोहन की तकनीक बताते हैं, जगह-जगह गहरे बोर करा दिए जाते हैं, कर्ज लेकर पैसे बांटे जाते हैं, देश को कर्जदार बनाया जाता है, लेागों को पानी मिल जाता है और वे नेताओं के जाल में फंस जाते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "वर्तमान दौर में जरूरी हो गया है कि पानी के संरक्षण के संवाद को दोबारा से खड़ा किया जाए, क्योंकि सरकारें तो दोहन की बात करती हैं। सरकार दोहन की तकनीक, उसकी इंजीनियरिंग पर जोर देती है। समाज की जिम्मेदारी यह है कि, अब वह दोहन की बजाय संरक्षण पर जोर दे। ऐसा न होने पर ही देश का बड़ा हिस्सा बेपानी होता जा रहा है।"
राजेंद्र सिंह ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि देश के बड़े हिस्से में जल संकट है, कई इलाकों से लोग घर छोड़कर जा रहे हैं, मगर राजनेता इस पर चर्चा को तैयार नहीं हैं। उन्हें जनता की समस्या से ज्यादा अपने वोट की चिंता होती है। चुनाव आते हैं तो वे जनता को पानी दिखाने लगते है, उपलब्ध कराने के लिए जल संरक्षण की नहीं, दोहन की बात करते हैं।
वे आगे कहते हैं कि पानी संरक्षण के लिए बारिश के पानी को रोकना जरूरी है, तभी धरती का पेट भरेगा। ये गहरी बातें हैं, लंबी बातें हैं, जिन पर राजनेताओं का ध्यान नहीं जाता। यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है, धरती का पानी निकालकर गिनती के लोगों को देने की मुहिम चल पड़ी है। यही हाल किसानों और गरीबों का हो चला है, उनका माल लूट कर सरकार अदानी और अंबानी को सौंपने में लगी है।
उन्होंने कहा कि इस सरकार ने 'सत्यमेव जयते' को 'झूठमेव जयते' में बदल दिया है। सरकार ने जो भी वादे किए थे वे पूरे नहीं हुए। गंगा नदी की निर्मलता, अविरलता का वादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र में तो किया ही था, सौ सभाओं में भी इस तरह का वादा दोहराया था। इस वादे को दिखावटी तौर पर पूरा करने के लिए 20,000 करोड़ की राशि का ऐलान किया था, उसमें से 100 करोड़ रुपये भी खर्च नहीं किए गए होंगे।
राजेंद्र सिंह ने आगे कहा कि वर्तमान सरकार की झूठमेव जयते में विषेशज्ञता है, वे महज दिखावा करते हैं कि गंगा नदी की उन्हें चिंता है, यही कारण है कि उन्होंने बजट में राशि का निर्धारण भी कर दिया। वास्तव में यह सरकार देश के सारे संसाधन उन लोगों को सौंप देना चाहती है, जो आगामी चुनाव में उनकी मदद करें।


