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मप्र में नई शराब नीति पर सियासी संग्राम

मध्य प्रदेश में आगामी वित्त वर्ष के लिए राज्य मंत्रि-परिषद ने समग्र आबकारी नीति 2022-23 और हेरीटेज मदिरा नीति 2022 को मंजूरी क्या दी, इस पर सियासी संग्राम छिड़ गया है

मप्र में नई शराब नीति पर सियासी संग्राम
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भोपाल। मध्य प्रदेश में आगामी वित्त वर्ष के लिए राज्य मंत्रि-परिषद ने समग्र आबकारी नीति 2022-23 और हेरीटेज मदिरा नीति 2022 को मंजूरी क्या दी, इस पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। राज्य में भाजपा ने नई शराब नीति को मंजूरी दी है जो एक अप्रैल से लागू होगी। इसके तहत शराब की कीमतें तो कम होंगी हीं, साथ में अमीरों को घर में बार खोलने की भी आजादी रहेगी। सरकार का दावा है कि नई नीति से गैर-कानूनी एवं अमानक शराब निर्माण, परिवहन, भंडारण और विक्रय पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा।

कांग्रेस ने सरकार की ओर से नई नीति में किए गए प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का कहना है कि, शिवराज सरकार का शराब प्रेम एक बार फिर उजागर हो गया है। मध्यप्रदेश में शराब अब होगी सस्ती, ड्यूटी में कमी, वहीं दूसरी तरफ पेट्रोल- डीजल महंगा, करो में कोई राहत नहीं, जबकि जनता लंबे समय से करो में कमी की मांग कर रही है। सरकार ने अपनी प्राथमिकता बता दी है।

उन्होंने आगे कहा, शिवराज सरकार घर-घर में शराब पहुंचाना चाहती है, ताकि सब मदहोश रहें। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में शराब माफियाओं का कहर भी जारी है, अब भिंड में शराब से चार लोगों की मौत। सरकार का शराब माफियाओं पर कोई नियंत्रण नहीं, प्रदेश में अवैध और जहरीली शराब का अवैध कारोबार निरंतर जारी है। जो लोग चुनाव के समय शराबबंदी की बात करते थे, वो आज शराब के सबसे बड़े पक्षधर हो गये हैं। यह है इनकी वास्तविकता।

वहीं भाजपा नेता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि हम शराब मुक्ति के पक्ष में हैं। इसके लिए लगातार जागरुता अभियान चलाए जा रहे हैं। कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए सवाल किया कि कांग्रेस बताए जहां उनकी सरकार है, यानी राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और महाराष्ट्र में शराब बंदी को लेकर क्या काम हो रहा है।


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