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मप्र में 'आदिवासी' के बाद 'ओबीसी' पर सियासी संग्राम

मध्य प्रदेश में आदिवासी के हितैषी बनने की होड़ को लेकर चल रहा सियासी संग्राम अभी थमा भी नहीं था कि पिछड़ों को आरक्षण दिलाने के नाम पर सत्ताधारी दल भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं

मप्र में आदिवासी के बाद ओबीसी पर सियासी संग्राम
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भोपाल। मध्य प्रदेश में आदिवासी के हितैषी बनने की होड़ को लेकर चल रहा सियासी संग्राम अभी थमा भी नहीं था कि पिछड़ों को आरक्षण दिलाने के नाम पर सत्ताधारी दल भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। राज्य में आने वाले दिनों में आदिवासी सम्मान और पिछड़ों का आरक्षण बड़ा सियासी मुद्दा बन सकता है। राज्य में आगामी समय में एक लोकसभा और तीन विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होना है तो नगरीय निकाय व पंचायतों के चुनाव भी अगले साल हो सकते हैं। इन चुनावों की चिंता दोनों ही राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस को है। प्रदेश में आदिवासी और पिछड़ा वर्ग सत्ता की चाबी सौंपने के मामले में निर्णायक है। इस बात से दोनों दल वाकिफ है और यही कारण है कि वे अपने को इनका सबसे बड़ा हमदर्द व हितैषी बताने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते।

विश्व आदिवासी दिवस को लेकर सोमवार को भाजपा और कांग्रेस में जमकर टकराव हुआ। कांग्रेस ने भाजपा पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया तो भाजपा ने कांग्रेस के शासनकाल की याद दिला दी। मंगलवार को राज्य में पिछड़ों का आरक्षण 14 से 27 प्रतिशत किए जाने पर सियासी संग्राम चला। विधानसभा में भी इस पर हंगामा हुआ।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कांग्रेस भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है और समाज को तोड़ने के प्रयास में लगी है। कल आदिवासियों को लेकर भ्रम फैलाया और आज पिछड़े वर्ग को भ्रमित करने का कांग्रेस प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री चौहान ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार का जिक्र करते हुए कहा, 8 मार्च 2019 को 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने का तत्कालीन सरकार ने वचन दिया था। 10 मार्च को याचिका लगी और 19 मार्च को स्टे आ गया। 10 से 19 तारीख तक तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने अपना एडवोकेट जनरल तक कोर्ट में खड़ा नहीं किया। तत्कालीन सरकार ने अपने शासन के दौरान कोई प्रयास तक नहीं किया।

उन्होंने कहा, "कमल नाथ ने पिछड़े वर्ग की पीठ में छुरा घोंपा है। कांग्रेस पाखंड कर रही है, पिछड़ा वर्ग को कांग्रेस ने धोखा दिया है।"

उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने राज्य सरकार पर ओबीसी के मामले में न्यायालय में बेहतर तरीके से पैरवी न करने का आरेाप लगाते हुए कहा कि शिवराज सरकार की न्यायालय में कमजोर पैरवी व पक्ष ठीक ढंग से नहीं रखने के कारण भी, आज ओबीसी वर्ग को बढ़े हुए आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 2004 से 2014 तक भी प्रदेश में शिवराज की सरकार थी, इस दौरान कमजोर पैरवी के कारण केस हारे और आज हम पर कमजोर पैरवी का झूठा आरोप लगाया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा, "न्यायालय में केस हारने के बाद भी वर्ष 2014 से 2018 तक शिवराज सरकार ने ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, मुझ पर झूठे आरोप लगाने वाले शिवराज सरकार की यह वास्तविकता है।"

कमल नाथ ने अपनी सरकार के काल में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा, "मेरी सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग के उत्थान के लिए आठ मार्च 2019 को ओबीसी वर्ग के आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया था। इसको चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में कुछ याचिकाएं लगीं।"


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