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राहुल-सत्यपाल वार्ता से उभरती सियासी तस्वीर

कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का बुधवार को लिया गया साक्षात्कार अगर जमकर वायरल हो रहा है

राहुल-सत्यपाल वार्ता से उभरती सियासी तस्वीर
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का बुधवार को लिया गया साक्षात्कार अगर जमकर वायरल हो रहा है तो सिर्फ इसलिये नहीं कि इससे कई नये खुलासे हुए हैं और कुछ पुराने तथ्यों की पुष्टि हुई है, वरन इसलिये भी कि वह देश की भावी राजनैतिक तस्वीर को भी बयां कर रहा है। दोनों ही दो अलग-अलग पीढ़ियों तथा एकदम भिन्न किस्म की राजनीति का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन दोनों के बीच कुछ समानताएं भी हैं जो इस बातचीत को महत्वपूर्ण बनाते हैं। सबसे बड़ी समानता तो यह है कि दोनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बेखौफ़ लड़ रहे हैं और मोदी एवं भारतीय जनता पार्टी की कार्यपद्धति का जमकर विरोध कर रहे हैं।

राहुल के एक सवाल के जवाब में मलिक का यह कहना कि 'चुनाव में सिर्फ 6 महीने रह गये हैं। मैं लिखकर दे रहा हूं कि अब मोदी सरकार नहीं आयेगी,' इस बात की पुष्टि करता है कि जो राजनैतिक घटनाक्रम ज़मीन पर होता दिख रहा है और उसके मुताबिक लोग जो सत्ता परिवर्तन का अनुमान लगा रहे हैं, वैसा होने जा रहा है। सत्यपाल मलिक द्वारा राहुल की इस बात के लिये तारीफ करना भी वे (राहुल) निस्वार्थ भाव से सत्ता परिवर्तन की लड़ाई लड़ रहे हैं, एक तरह से पुरानी पीढ़ी के एक ईमानदार नेता द्वारा राहुल के संघर्ष का गौरवगान है।

मलिक ने पुलवामा के उस घटनाक्रम को एक बार फिर दोहराया जिसमें 14 फरवरी, 2019 को सड़क मार्ग से जा रहे केन्द्रीय आरक्षित पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गये थे। जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल मलिक ने साफ किया था कि यह सरकार की गलती से हुआ है क्योंकि सीआरपीएफ द्वारा उन्हें ले जाने के लिये हवाई जहाज मांगे गये थे जो मुहैया नहीं कराये गये थे। इसके चलते उन्हें सड़क मार्ग से ले जाया गया था। रास्ते में कोई सुरक्षा नहीं थी जो अमूनन ऐसे काफिले के गुजरने के वक्त की जाती है। मलिक ने पहले की तरह फिर से बताया कि उस वक्त मोदी जिम कार्बेट पार्क में शूटिंग कर रहे थे। बाद में जब उनसे और सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बात हुई तो उन्हें चुप रहने को कहा गया था। राहुल ने भी बताया कि पहले उन्हें भी एयरपोर्ट पर लाये गये शहीदों के शवों को श्रद्धांजलि के लिये जाने से मना किया गया था। बाद में हवाई अड्डे पर उन्हें एक कमरे में बंद रखा गया था। राहुल ने आशंका जताई कि इस खुलासे के बाद मलिक के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की जांच हो सकती है, मलिक ने कहा कि वे इसकी परवाह नहीं करते।

बातचीत में दोनों नेताओं का एक दूसरे के लिये आदर साफ झलक रहा था। राहुल ने जब उनके राजनैतिक कैरियर की शुरुआत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जरिये वे इसमें आये थे। जब राहुल ने चरण सिंह की शख्सियत के बारे में जानना चाहा तो मलिक का कहना था कि वे सरल व ईमानदार व्यक्ति थे। उल्लेखनीय है कि 1977 में बनी जनता पार्टी की सरकार करीब ढाई वर्ष चलकर गिर गई थी तब कांग्रेस के समर्थन से चौधरी पीएम बने थे- केवल 5 माह के लिये। इंदिरा गांधी द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। उनका आरोप था कि इंदिरा उनके खिलाफ आपातकाल संबंधी मामलों को समाप्त करने का दबाव डाल रही थी।

उन्होंने दबाव में आने की बजाय त्यागपत्र देना बेहतर समझा था। देश के संसदीय इतिहास के इन काले पन्नों के बावजूद राहुल और सत्यपाल में इसे लेकर कोई कड़वाहट नहीं दिखी। दोनों ने चरण सिंह को लेकर सहजतापूर्वक बातचीत की। राहुल ने उनसे यह जानना चाहा कि लोग पद पाने के लिये इतने लालायित क्यों होते हैं, मलिक ने कहा कि राजनीति पहले देश सेवा थी जो अब व्यवसाय बन गई है। उन्होंने राहुल की इसलिये तारीफ की कि वे ऐसे वक्त में एक अपवाद है जो उन्हें सबसे अलग बनाता है।

दोनों के बीच किसान आंदोलन, न्यूनतम समर्थन मूल्य, जातिगत जनगणना आदि को लेकर भी विस्तार से बातचीत हुई जिसमें दोनों नेताओं के बीच वैचारिक समानता दिखाई पड़ी जो इस बात के संकेत हो सकते हैं कि भविष्य में दोनों को एक दूसरे का साथ मिलता रहेगा। अगर ऐसा होता है तो यह मोदी और भाजपा के लिये ज्यादा मुश्किलों वाले दिन हो सकते हैं क्योंकि ये दोनों (राहुल-सत्यपाल) मोदी सरकार के कट्टर आलोचक हैं। जहां एक ओर राहुल मोदी राज के कथित भ्रष्टाचार, खासकर प्रधानमंत्री के कारोबारी मित्र गौतम अदानी के साथ संबंधों पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं, उसी तज़र् पर मलिक भी कह चुके हैं कि केन्द्र द्वारा लाये गये तीन कृषि कानून, जो किसानों के विरोध के चलते सरकार को वापस लेने पड़े थे, अदानी के लाभ के लिये ही लाये गये थे।

राहुल-सत्यपाल के बीच का यह वार्तालाप न केवल कांग्रेस व इंडिया गठबन्धन के भविष्य में और मजबूत होने की ओर इशारा करता है वरन यह भी बतलाता है कि कई दलों के साथ रहने के बावजूद अपनी ईमानदारी के कारण सम्मानित सत्यपाल मलिक जैसे नेता लोकसभा चुनावों के वक्त खुले आम कांग्रेस-इंडिया का साथ देकर प्रतिपक्ष को और मजबूती प्रदान करेंगे। मलिक का यह कहना कि 'यह सरकार जा रही है', उसी दावे की पुष्टि है जो राहुल गांधी भी करते आ रहे हैं और जिसकी वे कोशिश कर रहे हैं।


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