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आपसी समझ से राजनीतिक दल ढूंढे देश की समस्याओं का हल: हरिवंश सिंह

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह ने कहा है कि देश के सभी राजनीतिक दलों को आपसी समझ से रचनात्मक सोच विकसित कर देश की बुनियादी समस्याओं का हल ढूंढ़ना होगा

आपसी समझ से राजनीतिक दल ढूंढे देश की समस्याओं का हल: हरिवंश सिंह
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बलिया। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह ने कहा है कि देश के सभी राजनीतिक दलों को आपसी समझ से रचनात्मक सोच विकसित कर देश की बुनियादी समस्याओं का हल ढूंढ़ना होगा।

राज्यसभा के उपसभापति ने कल देर शाम अपने पैतृक गांव बलिया जिले में जयप्रकाश नगर के दलजीत टोला स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि देश की बुनियादी समस्याओं का हल ढूंढने के लिए राजनीतिक दलों को एक रचनात्मक सोच विकसित करनी होगी।

जब वह पत्रकार के रूप मे राज्यसभा की रिपोर्टिंग करते थे तब के राज्यसभा के परिदृश्य मे और अब के राज्यसभा के परिदृश्य मे काफी बदलाव आ गया है । राज्यसभा के परिदृश्य मे दिख रहा बदलाव समाज मे घट रहे घटनाओं को प्रतिबिंबित करता है ।

उन्होंने कहा कि शिक्षा देश की एक बुनियादी समस्या है। भारतीय ग्रामीण परिवेश की शिक्षा पर कुछ दिनों पहले एक रिपोर्ट आयी थी। रिपोर्ट मे कहा गया था कि ग्रामीण क्षेत्र मे कक्षा नौ मे पढ़ने वाला छात्र कक्षा तीन की गणित हल करना नहीं जानता ,क्या यह पूरे देश के लिए चिंता का विषय नहीं है ? उन्होंने कहा कि समाज तेजी से बदल रहा है ,आज गरीब परिवार मे पैदा हुआ यदि प्रतिभावान है तो वह अपनी प्रतिभा के बल पर सबकुछ हासिल कर सकता है ।

राज्यसभा के उपसभापति ने इन्फोसिस के नारायणमूर्ति की चर्चा करते हुए कहा कि वे गरीब परिवार मे पैदा हुए ।कभी उनके पास आईआईटी करने के लिए पैसे की कमी थी लेकिन अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने दुनिया मे टाटा -बिड़ला से ज्यादा शोहरत हासिल की और सम्पत्ति अर्जित की ।

उन्होंने कहा “ आज दुनिया की 17 फीसदी आबादी हिन्दुस्तान मे बसती है और दुनिया की कुल जमीन का केवल दो फीसदी हिस्सा हमारे पास है। कहा जा रहा है कि चार - पांच वर्ष के बाद यह देश दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा । जनसंख्या के बढ़ते दबाव मे खाद्यान्न की समस्या, आवास की समस्या, पर्यावरण का संकट ये सब देश की बुनियादी समस्याए हैं । इन बुनियादी समस्याओं को लेकर हर राजनीतिक दल चिंता जाहिर करते नजर आते हैं ।आप किसी राजनीतिक दल के व्यक्ति से बात करिए वह अपनी चिंता जाहिर करते हुए दिखाई देगा । ”

उन्होंने कहा कि सबकुछ सरकार ठीक करेगी यह सोच उचित नहीं है । देश के बुद्धिजीवियों और राजनीतिक दलों के रहनुमाओं को बुनियादी समस्याओं को हल करने के लिए सार्थक पहल करनी होगी तभी भारत दुनिया मे बन रहे ज्ञान के समाज मे प्रतिष्ठा हासिल कर सकेगा ।


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