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चुनावी साल में 'भगोरिया' बना राजनीतिक दलों के शक्ति प्रदर्शन का मैदान

मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले झाबुआ का प्रणय पर्व माना जाने वाला 'भगोरिया' इस बार राजनीतिक दलों के शक्ति प्रदर्शन का मैदान बन सकता है

चुनावी साल में भगोरिया बना राजनीतिक दलों के शक्ति प्रदर्शन का मैदान
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झाबुआ। मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले झाबुआ का प्रणय पर्व माना जाने वाला 'भगोरिया' इस बार राजनीतिक दलों के शक्ति प्रदर्शन का मैदान बन सकता है।

पूरे अंचल में भगोरिया की लोकप्रियता को देखते हुए चुनावी साल में दोनों मुख्य राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस अपनी विचारधारा आदिवासी युवाओं के बीच तक पहुंचाने के लिए हरसंभव कोशिश में है। फरवरी महीने की 23 तारीख से शुरु होने वाले भगोरिया के लिए दोनों दल तैयारियों में जुट गए हैं। भगोरिया एक मार्च तक चलेगा।

भाजपा जिलाध्यक्ष दौलत भावसार ने बताया कि भाजपा भगोरिया के दौरान जगह-जगह गैर (आदिवासी क्षेत्रों में निकलने वाले एक विशेष प्रकार के जुलूस) निकालेगी। गांवों के प्रमुखों का सम्मान करने की भी योजना है।

वहीं कांग्रेस के जिलाध्यक्ष निर्मल मेहता ने बताया कि इस बार पार्टी भगोरिया में शक्ति प्रदर्शन करेगी। इतने सालों में एक पूरी पीढ़ी बदल चुकी है, पार्टी अपने विचारों से नई पीढियों को अवगत कराएगी।

दोनों दलों के प्रमुख नेताओं के भी भगोरिया में शामिल होने की संभावना है। भगोरिया मेले के साथ आदिवासियों के 21 दिवसीय त्योहारों की श्रृखंला प्रारंभ होगी।

इस दौरान आदिवासी अंचलों में उल्लास और भरपूर मौज-मस्ती का आलम रहेगा। होली के एक सप्ताह पूर्व जिले भर में लगने वाले हाट बाजारों का स्वरूप भगोरिया हाट कहलाता है।

आदिवासियों के सबसे अहम पर्व भगोरिया में झूले-चकरियों के अलावा ढोल-मांदल की थाप पर गैरे निकाली जाती है, आदिवासी सज संवरकर वाद्य यंत्रों को बजाते नाचते-गाते चलते है।


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